बिहार के सरकारी अस्पताल की दयनीय स्थिति को लेकर छपी खबर पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिंदबरम द्वारा ट्विटर पर नाराजगी जताने के बाद रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रमुख सहयोगी माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर ही उनसे भिड़ गए। राज्य सरकार में मंत्री संजय कुमार झा ने चिदंबरम के उस ट्वीट पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कई ट्वीट किए जिनमें उन्होंने दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (डीएमसीएच) की स्तब्ध करने वाली टेलीविजन रिपोर्ट का हवाला दिया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री चिंदबरम ने ट्वीट किया, ‘‘ इंडिया टुडे टीवी ने दरभंगा सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के भवन की स्थिति पर एक कहानी प्रसारित की।चौंकाने वाला और निंदनीय है। क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 15 साल से ज्यादा के कार्यकाल में मुख्यमंत्री रहते दरभंगा गए हैं?’’ इसपर पलटवार करते हुए झा ने ट्वीट किया, ’’ लोगों को जो थोड़ी बहुत आशंका चिदंबरम के जमीन से कटे होने को लेकर थी वह भी इस बयान से दूर हो गई है।
इंडिया टुडे टीवी ने दरभंगा सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के भवन की स्थिति पर एक कहानी प्रसारित की।
चौंकाने वाला और निंदनीय है।क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 15 साल से ज्यादा के कार्यकाल में मुख्यमंत्री रहते दरभंगा गए हैं?
क्या उन्हें अस्पताल के हाल के बारे में पता भी है?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) May 15, 2021
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं जन नेता बने हैं आपके नेता की तरह नहीं है जिन्हें विरासत में कुर्सी मिली है जिसका आप वंदन करते हैं।’’ बिहार सरकार में जल संसाधन और सूचना जैसे अहम विभाग का प्रभार देख रहे झा हालांकि, राहुल गांधी का नाम लेने से बचे।
दरभंगा से ही संबंध रखने वाले झा ने डीएमसीएच के खराब हालात के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अस्पताल की इमारत सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस है और कोविड-19 मरीजों को सबसे बेहतर इलाज मिल रहा है जिसकी निगरानी मुख्यमंत्री नियमित रूप से कर रहे हैं।
बताते चलें कि इंडिया टूडे की खबर में दिखाया गया था कि बिहार के मिथिलांचल की लाइफलाइन कहे जाने वाली डीएमसीएच अस्पताल की हालत काफी खराब है। अस्पताल का सर्जिकल भवन खंडहर जैसा दिख रहा है। दरभंगा के डीएमसीएच अस्पताल में करोड़ों लोगों की जिदंगी निर्भर करती है। दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी जिलों से लोग इलाज करवाने के लिए यहां आते हैं। इस क्षेत्र का यह एकमात्र सरकारी अस्पताल है जहां लोग उम्मीदों के साथ आते हैं। लेकिन डीएमसीएच का भवन स्वयं अपनी जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है।