पश्चिम बंगाल के शिक्षख भर्ती घोटाले में फंसे पार्थ चटर्जी ने गिरफ्तारी के बाद चार बार ममता बनर्जी का नंबर डायल किया। लेकिन हर बार एक ही जवाब मिला। प्लीज ट्राई आफ्टर सम टाइम। ममता ने उनके फोन का जवाब देने में भी कोई रुचि नहीं दिखाई। वो लगातार उन्हें नजरंदाज करती रहीं। ममता को लगता है कि पार्थ की करतूत की वजह से तृणमूल पर असर पड़ रहा है।
कानून जब कोई शख्स अरेस्ट होता है तो उसका अधिकार होता है कि वो अपने किसी निकटतम संबंधी या दोस्त को इत्तला दे सकता है। पार्थ ने अपने इस अधिकार के तहत ममता बनर्जी से बात करने की इच्छा जाहिर की थी। उनकी मांग पर ईडी ने उन्हें फोन मुहैया कराया। पार्थ ने ममता को शनिवार की गिरफ्तारी के बाद सुबह 2.31 बजे, 2.33 बजे, 3.37 बजे और फिर 9.35 बजे फोन किया था। लेकिन उन्हें किसी भी कॉल का जवाब नहीं मिल सका।
फिलहाल पार्थ अस्पताल में दाखिल हैं। भर्ती घोटाले की जांच के सिलसिले में ईडी ने उनको बेचैनी की शिकायत के बाद शाम के समय अस्पताल में भर्ती कराया था। उनको कई स्वास्थ्य समस्याएं हैं। अदालत से दो दिन की ईडी हिरासत में भेजे जाने के कुछ घंटे बाद ही उन्हें सरकारी एसएसकेएम अस्पताल के आईसीसीयू में भर्ती कराया गया था। एजेंसी ने शुक्रवार को उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर से 20 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम बरामद की थी। पार्थ के साथ अर्पिता मुखर्जी को भी ईडी ने गिरफ्तार किया।
69 वर्षीय पार्थ चटर्जी, वर्तमान में ममता बनर्जी सरकार में उद्योग और संसदीय मामलों के विभाग को संभाल रहे। वह वर्ष 2014 से 2021 तक शिक्षा मंत्री थे। उनके शिक्षा मंत्री रहने के दौरान शिक्षक भर्ती में कथित अनियमितताएं हुईं। तृणमूल कांग्रेस का गठन होने के बाद पार्थ चटर्जी ममता के साथ आ गए थे।
पार्थ तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर2001 से लगातार पांच बार बेहाला पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। चटर्जी का सियासी सफर वर्ष 2006 में तब शिखर पर पहुंचा, जब विधानसभा में वह तृणमूल कांग्रेस पार्टी के नेता बने और बाद में नेता प्रतिपक्ष बने। ममता ने सिंगूर और नंदीग्राम के भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर बंगाल की सड़कों पर शक्तिशाली वाम मोर्चा शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी तो चटर्जी विधानसभा में विपक्ष की आवाज थे।