केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान अपने एक ट्वीट के बाद सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए हैं। उन्होंने रविवार (14 जून, 2020) को ट्वीट कर कहा कि देश कि NFSA लाभुकों को पोषक तत्व युक्त चावल उपलब्ध कराने हेतु सरकार ने 15 राज्यों के एक-एक जिले में Rice Fortification की पायलट योजना शुरू की है। इसके तहत महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्रप्रदेश के चुने हुए जिलों में पौष्टिक चावल का वितरण शुरू हो गया है।

ट्वीट में आगे कहा गया, ‘पौष्टिक चावल वितरण का काम ओडिशा और उत्तरप्रदेश में बहुत जल्द शुरू जाएगा। अन्य राज्यों को भी जल्द से जल्द इसे शुरू करने के लिए कहा गया है। आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी12 युक्त पौष्टिक चावल से कुपोषण और खून की कमी को दूर किया जा सकता है।’ मोदी सरकार में खाद्य उपभोक्ता मामलों के मंत्री पासवास के इस ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स नाराजगी जाहिर की है।

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पासवान के ट्वीट के जवाब में ट्विटर यूजर सुनील लोखंडे @BhainsdehiWale लिखते हैं, ‘पीड़ित और दलित होने के नाते क्या आप भी वही पौष्टिक चावल का सेवन करते है अगर नहीं करते तो जातिगत आरक्षण के बाद राजनीति का आरक्षण लेकर भी आपका पिछड़ापन जारी है जो एक मानसिक बीमारी है।’ रवि @KochaleRavi लिखते हैं, ‘मध्यप्रदेश में गेंहू, चावल, दाल तीनों गायब। कहीं भाजपा नेता तो नहीं भूख लगने पर खा गए, और भाजपा के दलित नेता अपनी कुर्सी बचाने में कुछ बोल भी नहीं सकते। बेचारे कुर्सी के लालची।’

इसी तरह किसान की आवाज @dipak_asawa नाम से एक यूजर लिखते हैं, ‘दिल्ली में भी प्रोटीन देने वाले थे मगर क्या हुआ। पशुओं की गुणवत्ता वाला भोजन इंसानों को दे रहे हो। जनता क्या इनको जानवर लगती है या कोई बड़ी कमाई हुई है। शिकायत करने पर भी कोई जवाब नहीं मिलता।’ अजीत लिखते @Arjeet39847338 लिखते हैं, ‘बिहार में सिर्फ घटिया गुणवत्ता वाले अरवा चावल वितरण क्यों करते हैं? इसलिए लोग खाते नहीं है तथा बाजार में बेच देते हैं। फिर सरकार उसे कालाबाजारी कहती है। डीबीटी प्रणाली से पैसा सीधे बैंक खाता में भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है?’