लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग के समक्ष उन 21 आप विधायकों की सुनवाई अब 21 जुलाई को होगी, जिन्हें दिल्ली सरकार ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था। चुनाव आयोग ने सभी पक्षों को दुबारा बुलाया है। अगले हफ्ते गुरुवार को भाजपा और कांग्रेस की उन याचिकाओं पर भी सुनवाई होगी जिनमें वे इस मामले में पार्टी बनने की मांग कर रहे हैं। गुरुवार की सुनवाई में कांग्रेस की याचिका की प्रति सभी पक्षों को देने का आदेश दिया गया। आप के इन 21 विधायकों पर विधानसभा की सदस्यता रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है।
गुरुवार को आप के 21 विधायक, कांग्रेस की ओर से सलमान खुर्शीद और अजय माकन और भाजपा के वकील चुनाव आयोग के समक्ष इकट्ठा हुए। लगभग आधे घंटे चली सुनवाई में अजय माकन को अपनी याचिका की प्रति सभी पक्षों को देने का आदेश दिया गया और अगली सुनवाई की तारीख 21 जुलाई तय की गई। कस्तूरबा नगर से विधायक मदन लाल ने कहा, ‘आज केवल एक मुद्दे पर चर्चा हुई, वह थी अजय माकन की याचिका, आयोग ने उसकी प्रति सभी पक्षों को देने को कहा है, माकन ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें पार्टी बनाए जाने से आयोग को इस मुद्दे में मदद मिलेगी।
लेकिन, हमें मालूम है कि इससे कोई मदद नहीं मिलेगी, हम 21 जुलाई को जवाब देंगे, पांच साल के लिए हम बने हुए हैं’।
वहीं भाजपा के वकील विवेक गर्ग ने कहा, ‘आज चुनाव आयोग के सामने आप और कांग्रेस का पर्दे के पीछे चल रहा गठजोड़ का खुलासा हो गया, कांग्रेस की रणनीति थी कि कार्रवाई में देरी हो, कांग्रेस ने अपनी याचिका में केवल इन विधायकों को अयोग्य करने की अपील की है, जबकि भाजपा की अपील है कि इन्हें अयोग्य करार देने के साथ-साथ इन पर झूठे प्रमाण देने के आरोप में आपराधिक मुकदमा चलाया जाए’।
कांग्रेस नेता चतर सिंह ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘हमने याचिका आयोग को दी थी हमसे प्रति बांटने को जब कहा गया तो हमने बांट दिए। वास्तव में भाजपा और आप मिले हुए हैं और मामले में देर करना चाहते हैं। हमने वे सारे बिंदु याचिका में शामिल किए हैं जो प्रशांत पटेल नहीं शामिल कर सके’। अब 21 जुलाई को आप के 21 विधायक अपने वकीलों के साथ आयोग के सामने अपना पक्ष रखकर ये बताएंगे कि आखिर क्यों उनका पद लाभ के पद के दायरे में नहीं आता और क्यों उनकी विधायकी रद्द ना हो। 13 मार्च 2015 को दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को मंत्रियों के संसदीय सचिव बनाने की घोषणा की थी और इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी।
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली विधानसभा सदस्यता (अयोग्यता का प्रावधान खत्म करने) अधिनियम, 1997 में संशोधन करके संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से बाहर निकालने का भी प्रयास किया। लेकिन, राष्ट्रपति ने इस विधेयक को खारिज करके लौटा दिया। इस बीच प्रशांत पटेल नाम के वकील ने राष्ट्रपति के पास इन विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी याचिका डाली। राष्ट्रपति ने ये याचिका चुनाव आयोग को भेजी और इस पर कार्रवाई करके रिपोर्ट देने को कहा। मार्च 2016 में चुनाव आयोग ने इन विधायकों को नोटिस भेज जवाब मांगा था। मई में आयोग को भेजे जवाब में विधायकों ने कहा था कि उन्हें किसी तरह की सुविधा या भत्ता नहीं दिया जाता, न ही कोई दफ्तर दिया गया है। विधायकों ने आयोग से व्यक्तिगत सुनवाई की मांग की थी।