Mainpuri Bypoll: मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव को लेकर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Aamajwadi Party Chief Akhilesh Yadav) पर निशाना साधा। राजभर ने कहा कि आजमगढ़ उपचुनाव में अखिलेश यादव सपा प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार करने नहीं गए थे, लेकिन मैनपुरी में हो रहे उपचुनाव में उन्होंने अपनी पत्नी (डिंपल यादव) को मैदान उतारा है। इसके लिए वो चुनाव प्रचार करने गांव-गांव जरूर जाएंगे। वहीं राजभर के बयान के एक दिन बाद अखिलेश यादव मैनपुरी में लोगों से वोट मांगते नजर आए। जिसका उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से फोटो भी शेयर किया।

राजभर ने कहा कि जिसको बीजेपी ने टिकट दिया है, वो शिवपाल के काफी करीबी हैं। जो एक बड़ा संदेश है। उन्होंने कहा कि यहां से अखिलेश ने पत्नी डिंपल को मैदान में उतारा है। उन्हें जिताने के लिए वो पसीना बहा रहे हैं पर उन्हें जीत नहीं मिलेगी। जिस तरह आजमगढ़ में यादव प्रत्याशी लड़ाने की वजह से वह हारे, उसी प्रकार से मैनपुरी में भी हारेंगे।

ओमप्रकाश राजभर मंगलवार को मीडियाकर्मियों बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में यादव के बाद सबसे अधिक शाक्य मतदाता हैं, लेकिन सपा ने यहां कभी पाल, कश्यप, बिंद, मल्लाह, केवट आदि पिछड़ी जातियों को प्रत्याशी नहीं बनाया।

सुभासपा प्रमुख ने कहा कि सपा प्रमुख आजमगढ़ में यादव लड़ाने में लुट गए, अब मैनपुरी की बारी है। उन्होंने कहा कि मंथन करने के बाद ही भाजपा ने रघुराज सिंह शाक्य को उम्मीदवार घोषित किया है।

सुभासपा अध्यक्ष ने तंज कसते हुए कहा कि क्या मैनपुरी में सिर्फ यादव ही चुनाव लड़ेंगे क्या? अन्य जातियां क्या मैनपुरी में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैनपुरी से दूसरी जातियों का वोट सपा को नहीं मिलेगा। राजभर ने कहा कि अखिलेश यादव की पत्नी मैनपुरी से चुनाव लड़ रही हैं। इसलिए यह गलती नहीं करेंगे, कोई दूसरा चुनाव लड़ता तो अखिलेश यादव एसी से नहीं निकलते।

बता दें, यूपी की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए थे। दोनों सीटों पर उपचुनाव में हार के बाद सपा प्रमुख के नेतृत्व को लेकर सवाल उठने लगे थे, तब सुभासपा प्रमुख ने उनसे कई बार अनुरोध किया था कि वो एसी से बाहर निकलें और जनता के बीच जाएं। हालांकि उसके कुछ दिन बाद सपा और सुभासपा का गठबंधन टूट गया था।