सुप्रीम कोर्ट ने अगर न्यायमूर्ति आर लोढ़ा समिति के व्यापक सुधारों के सुझावों को मानने के लिए बीसीसीआइ को बाध्य कर दिया तो फिर महाराष्ट्र के दिग्गज शरद पवार के लिए खेल प्रशासन का रास्ता बंद हो जाएगा जबकि मौजूदा अध्यक्ष शशांक मनोहर मतदान का अधिकार गंवा सकते हैं। समिति के सुधारात्मक सुझावों का व्यापक असर पड़ेगा। इससे कई राज्य संघों के अध्यक्ष भी प्रभावित होंगे जो पिछले लंबे समय से अपने पदों पर आसीन हैं। कुछ सुधार प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल विकास संहिता के अनुरूप सुझाए गए हैं।

कोई भी व्यक्ति 70 साल की उम्र के बाद बीसीसीआइ या राज्य संघ पदाधिकारी नहीं बन सकता।

संभावित प्रभाव : इससे वास्तव में मुंबई क्रिकेट संघ के महत्त्वाकांक्षी अध्यक्ष शरद पवार (75 साल से अधिक), तमिलनाडु क्रिकेट संघ के एन श्रीनिवासन (71 साल से अधिक) की बोर्ड में वापसी का रास्ता बंद हो जाएगा। सौराष्ट्र क्रिकेट संघ के प्रमुख निरंजन शाह (71 साल से अधिक) और पंजाब के शीर्ष पदाधिकारियों एमपी पांडोव व आइएस बिंद्रा के लिए भी अपने राज्य संघों में बने रहना मुश्किल हो जाएगा।

एक राज्य संघ का एक मत होगा और अन्य को एसोसिएट सदस्य के रूप में रेलीगेट किया जाएगा।

संभावित प्रभाव : इसका मतलब है कि बीसीसीआइ एजीएम के दौरान ऐसी स्थिति में अध्यक्ष शशांक मनोहर मतदान नहीं कर सकते हैं क्योंकि महाराष्ट्र का ही मान्यता प्राप्त वोटर होगा। विदर्भ और मुंबई एसोसिएट सदस्य के रूप में रेलीगेट हो जाएंगे। इसी तरह से निरंजन शाह मतदान नहीं कर पाएंगे क्योंकि सौराष्ट्र एसोसिएट सदस्य बन जाएगा और गुजरात मुख्य सदस्य। इस तरह से बिहार, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना को भी स्वतंत्र राज्य होने के कारण मतदान का अधिकार मिल जाएगा। राष्ट्रीय क्रिकेट क्लब अपना मतदान का अधिकार गंवा देगा।

पदाधिकारियों के लिए तीन-तीन साल के तीन कार्यकाल जिसमें हर कार्यकाल के बाद बोर्ड से बाहर रहना होगा।

संभावित प्रभाव : मौजूदा सचिव अनुराग ठाकुर अपने वर्तमान कार्यकाल पूरा होने के तुरंत बाद बीसीसीआइ के अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। बीसीसीआइ अध्यक्ष पद के लिए तीन साल के दो कार्यकाल और इसके अलावा वह एक बार अध्यक्ष चुने जाने के बाद किसी अन्य पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकता।

संभावित प्रभाव : शशांक मनोहर अपने इस कार्यकाल के बाद छह साल पूरे कर लेंगे और इस तरह से बीसीसीआइ में उनकी पारी समाप्त हो जाएगी।

एक व्यक्ति एक समय में बीसीसीआइ और राज्य संघ दोनों का पदाधिकारी नहीं रह सकता।

संभावित प्रभाव : बीसीसीआइ सचिव अनुराग ठाकुर (अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ), बीसीसीआइ संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी (अध्यक्ष, झारखंड क्रिकेट संघ), बीसीसीआइ कोषाध्यक्ष अनिरूद्ध चौधरी (सचिव, हरियाणा क्रिकेट संघ) को अपने दो पदों में से कम से कम एक पद (संभवत: राज्य संघ का) छोड़ना पड़ेगा।

चयन समिति में तीन सदस्य होंगे जिन्होंने टैस्ट क्रिकेट खेली हो।

संभावित प्रभाव : मध्य क्षेत्र के राष्ट्रीय चयनकर्ता गगन खोड़ा को अपना पद छोड़ना होगा क्योंकि उन्होंने दो वनडे खेले हैं और उनके नाम पर कोई टैस्ट मैच दर्ज नहीं है। इसके अलावा तीन सदस्यीय पैनल के लिए विक्रम राठौड़, सबा करीम और एमएसके प्रसाद में से किसी एक को बाहर होना पड़ेगा। संदीप पाटील (25 टैस्ट) संभवत: अपना कार्यकाल पूरा करेंगे।

सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देना।

संभावित प्रभाव : ब्रिटिश सट्टेबाजी कंपनियों जैसे लैडब्रोक्स का प्रवेश। लैडब्रोक्स के जरिए ब्रिटेन और दुनिया के अन्य क्षेत्रों के लोग नियमित रूप से ईपीएल मैचों, एशेज और फीफा विश्व कप पर सट्टा लगाते हैं।