केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर ‘जीएसटी’ को अगले साल एक अप्रैल से लागू करने के लिये कमर कस ली है। जीएसटी परिषद की शुक्रवार को हुई बैठक में इस दिशा में एक अहम फैसला करते हुये 20 लाख रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाली इकाइयों को जीएसटी से छूट देने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही सभी प्रकार के उपकर को जीएसटी में ही समाहित करने का फैसला किया गया है। जीएसटी परिषद की अगली बैठक 30 सितंबर को होगी, जिसमें छूट देने को लेकर नियमों के मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा। वहीं जीएसटी कर स्लैब के बारे में निर्णय 17 अक्तूबर से शुरू होने वाली तीन दिन की बैठक में किया जाएगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई जीएसटी परिषद की पहली बैठक में यह भी निर्णय किया गया कि 1.5 करोड़ से कम के सालाना कारोबार वाले करदाता राज्य के दायरे में आएंगे।
जेटली ने कहा कि जिनका कारोबार 1.5 करोड़ रुपये से अधिक है, दोहरे नियंत्रण से बचने के लिये उनसे केंद्र या राज्य के अधिकारी में से कोई एक पूछताछ करेगा हालांकि, 11 लाख सेवा करदाता जिनका आकलन फिलहाल केंद्र करता है, वे उनके साथ बने रहेंगे। इस श्रेणी में जो नये करदाता सूची में आएंगे, उसे केंद्र एवं राज्यों के बीच विभिाजित किया जाएगा। बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में जेटली ने कहा कि जीएसटी के लिये सालाना कारोबार छूट सीमा 20 लाख रुपये होगी जबकि पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों में यह सीमा 10 लाख रुपये होगी। उन्होंने कहा कि उपकर समेत सभी चीजें जीएसटी में शामिल होंगी।जेटली ने बताया कि जीएसटी परिषद मुआवजा कानून तथा मुआवजा फार्मूले के मसौदे पर काम कर रही है।
मुआवजे के आकलन के लिये आधार वर्ष 2015-16 होगा और मुआवजे के भुगतान के फार्मूले पर राज्यों एवं केंद्र सरकार के बीच विचार होगा। अधिकारी मुआवजा फार्मूले के संदर्भ में प्रस्तुती देंगे जिसे परिषद की अगली बैठक में स्वीकार किया जा सकता है। वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक में इस बात को लेकर आम सहमति थी कि नई व्यवस्था के क्रियान्वयन के कारण राज्यों के राजस्व में किसी प्रकार के नुकसान को लेकर मुआवजे का भुगतान नियमित अंतराल पर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह तिमाही और हर दो महीने पर होना चाहिए। जेटली ने कहा कि बैठक में अगले पांच साल के दौरान राजस्व वृद्धि के अनुमान के तौर-तरीकों पर भी कुछ सुझाव दिये गये। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने जीएसटी परिषद की पहली बैठक को सफल करार देते हुए कहा कि जीएसटी व्यवस्था में केवल पांच प्रतिशत मामलों का आडिट किया जाएगा।
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