कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने जम्मू कश्मीर कांग्रेस की कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनने से इनकार कर दिया है। हालांकि उनका कहना है कि खराब सेहत का हवाला देकर उन्होंने सोनिया गांधी के सामने असमर्थता जताकर जिम्मेदारी लेने से इन्कार दिया है लेकिन जानकारों का कहना है कि गुलाम नबी इस बात से नाराज हैं कि उनकी सिफारिशों को पूरी तरह से नजर अंदाज किया गया, इसलिए उन्होंने कैंपेन और राजनीतिक समिति दोनों से इस्तीफा दे दिया।

कांग्रेस ने आज ही गुलाम नबी आजाद को कश्मीर में कैंपेन कमेटी समेत कई समितियों का प्रमुख बनाने का ऐलान किया था। मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि गुलाम नबी ने सोनिया गांधी को पहले ही कह दिया था कि उन्हें कोई पद नहीं चाहिए। इसके बाद भी उनके नाम का ऐलान किया गया।

मंगलवार को ही नियुक्त किए गए जम्मू कश्मीर कांग्रेस के नए अध्यक्ष विकार रसूल वानी को गुलाम नबी आजाद का बेहद खास माना जाता है। एएनआई की खबर के मुताबिक अनंतनाग जिले के कांग्रेस अध्यक्ष गुलजार अहमद वानी का कहना है कि PCC चीफ की नियुक्ति को लेकर आजाद नाराज थे। कैंपेन कमेटी से भी उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

गौरतलब है कि जी 23 के गठन के बाद से गांधी परिवार से आजाद का 36 का आंकड़ा है। उन्हें इस बार राज्यसभा भी नहीं भेजा गया। कांग्रेस में वो अलग थलग से हैं। जी 23 के एक और कद्दावर नेता कपिल सिब्बल पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं। आजाद के ताजा कदम को कांग्रेस नेतृत्व से उनकी नाराजगी को जोड़कर देखा जा रहा है।

2019 में मोदी सरकार ने अनुच्छेद-370 के खात्मे के साथ जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। हालांकि जम्मू कश्मीर में विधानसभा को बरकरार रखा गया था। फिलहाल जम्मू कश्मीर में विधानसभा क्षेत्र का परिसीमन पूरा हुआ है। उम्मीद की जा रही है प्रदेश में जल्द चुनाव हो सकते हैं। 2014 में हुए बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 12 विधायक जीते थे।