पिछले दिनों देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे हुए, दंगों के आरोपियों के घर बुलडोजर चलाया गया। केस दर्ज कर उन्हें जेल में डाल दिया गया। दंगे के गुनाहगारों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग हमेशा होती है लेकिन सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट लिखने वाले, धार्मिक टिप्पणी करने वालों पर बहुत कम कार्रवाई होती है। फिल्ममेकर विनोद कापड़ी ने अब इसी पर ट्वीट किया है।
विनोद कापड़ी ने ट्विटर पर लिखा कि “डिजिटल दंगेबाज का UAPA इलाज होना चाहिए कि नहीं?” विनोद कापड़ी के इस ट्वीट पर लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। जय प्रकाश नाम के यूजर ने लिखा कि तुम ही लोग फिर यूएपीए का विरोध भी तो करते हो।’ शिवम नाम के यूजर ने लिखा कि ‘फिर तो शुरुवात तुम जैसों से पहले होनी चाहिए, क्यों?’
मोहम्मद समीर नाम के यूजर ने लिखा कि ‘बिलकुल लगना चाहिए, कुछ लोगों ने पूरे देश का माहौल बिगाड़ कर रखा है।’ मुख्तार आलम नाम के यूजर ने लिखा कि ‘सर मुझे तो लगता है कि गहलोत साहब भी केजरीवाल की तरह आरएसएस के हाथों खेल रहे हैं।’ नरेंद्र कुमार सिंह नाम के यूजर ने लिखा कि ‘क्या बात कही है। अपने आप पर UAPA लगाने की आवाज उठाना बहुत बड़ी बात है।’
जफर नाम के यूजर ने लिखा कि ‘बिलकुल होना चाहिए, परंतु वर्तमान में मुमकिन नहीं।’ शर्मा जी नाम के यूजर ने लिखा कि ‘वो सब तो ठीक है लेकिन बाद में सब कानून का ही विरोध करने लगते हैं।’ आसिफ नाम के यूजर ने तंज कसते हुए लिखा कि ‘सच और सत्य लिखने वालों पर करवाई होगी मगर देश का माहौल खराब करने वालों पर कोई कार्रवाई नही।’
राज हंस नाम के यूजर ने लिखा कि ‘सारे मेनस्ट्रीम मीडिया सरकारी गीत गाते हैं, डिजिटल दंगाई हैं। कौन करेगा इलाज इनका? सरकार अपने पैर पर तो कुल्हाड़ी नहीं मारेगी!’ संजय कुमार ने लिखा कि ‘पत्रकारों के खिलाफ UAPA कतई नहीं लगना चाहिए। जो गलत काम करे,उसके खिलाफ पत्रकारों की संस्थाओं को कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। ये कार्रवाई टीवी चैनल के मालिक और संपादक के खिलाफ भी होनी चाहिए। एंकर तो किसी चैनल में प्रोड्यूसरों के हाथों की महज कठपुतली ही होता है।’
राजेंद्र नाम के यूजर ने लिखा कि ‘देश का माहौल खराब करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए, चाहे वो जो कोई भी हो।’ अमरिंदर सिंह नाम के यूजर ने लिखा कि ‘लगेगा तो आप पर ही क्योंकि उनकी की अपनी IT फैक्टरी तो इसमें आती नहीं है।’