केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी के दूसरे नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करने के बाद दिल्ली व जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) ने भी केजरीवाल सहित दूसरे लोगों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने का बुधवार को एलान किया। डीडीसीए ने हालांकि यह भी कहा कि वे केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेताओं के साथ-साथ भाजपा से निलंबित सांसद कीर्ति आजाद के खिलाफ भी मामला दर्ज कराएंगे जो लगातार डीडीसीए में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रहे हैं। हालांकि डीडीसीए ने साफ किया कि वे कीर्ति आजाद या दूसरे लोगों को डीडीसीए से निष्कासित करने पर किसी तरह का फैसला नहीं लिया है।

डीडीसीए के कार्यवाहक उपाध्यक्ष चेतन चौहान ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि पहले हमें लग रहा था कि मामला राजनीतिक है लेकिन अब सीधे-सीधे डीडीसीए पर भ्रष्टाचार और चयन प्रक्रिया में धांधली के बेबुनियाद आरोप लगा जाए रहे हैं, इसलएि हमने अब चुप बैठने का फैसला नहीं किया है। हम जल्द ही कानूनी सलाह लेकर केजरीवाल, आजाद सहित उन तमामल लोगों पर अदालती कार्रवाई करेंगे जो डीडीसीए पर बेतुके और झूटे आरोप लगा रहे हैं। डीडीसीए ने आजाद और आप नेताओं के ताजा आरोपों को कड़े शब्दों में खंडन किया और कहा कि इस तरह के बेबुनियाद आरोपों से डीडीसीए बदनाम हुआ है और उसकी छवि धूमल हुई है।

अचानक बुलाई गई इस प्रेस कांफ्रेंस ने डीडीसीए व बीसीसीआइ के उपाध्यक्ष सीके खन्ना, कोषाध्यक्ष रवींद्र मनचंदा, निदेशक सिद्धार्थ वर्मा और खेल सचिव सुनील देव भी मौजूद थे। चौहान ने कहा कि हमारे खिलाफ कई झूटे आरोप लगाए गए हैं और उसे इस तरह की गलत जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए हमें मजबूर होना पड़ रहा है। इसलिए डीडीसीए ने फैसला किया है कि केजरीवाल, आजाद और आरोप लगाने वाले दूसरे लोगों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करेगा जिन्होंने डीडीसीए में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए हैं।

चौहान ने यह जानकारी भी दी कि डीडीसीए में अनियमिततओं को लेकर सीबीआइ, कंपनी आफ रजिस्ट्रार और दिल्ली पुलसि पहले ही जांच कर रही है। हमने सीबीआइ, दिल्ली पुलिस और कंपनी आफ रजिस्ट्रार के सवालों के जवाब भी दिए हैं। ऐसे में किसी और एजंसी का जांच का कोई मतलब नहीं है। बुधवार को ही आप ने जेटली पर आरोप लगाया कि 2011 में बतौर तत्कालीन डीडीसीए अध्यक्ष जेटली ने एक निजी बैंक के क्रिकेट क्लब के मामले की जांच को बंद करने के लिए तत्कालीन पुलिस आयुक्त पर दबाव डाला था। लेकिन डीडीसीए ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि किसी ने कुछ भी गलत नहीं किया है। सुनील देव ने कुछ दस्तावेजों को जारी करते हुए कहा कि इस मामले में कुछ भी गड़बड़ नहीं थी। सिंडिकेट बैंक क्लब के मामले में बात करते हुए खेल सचिव सुनील देव ने कहा कि जेटली ने ये पत्र लिखकर कुछ भी गलत नहीं किया है। उन्हें अपने संघ का बचाव करने का पूरा अधिकार था।

सिंडिकेट बैंक मामले की जानकारी देते हुए देव ने कहा कि बैंक ने 2005 में अपनी टीम नहीं उतारने का फैसला किया और उसके एक कर्मचारी भोला शंकर ने तब बैंक से यह अनुमति लेने के लिए संपर्क किया कि क्या वे टीम उतार सकते हैं। देव ने सिंडिकेट बैंक के पत्र दिखाते हुए कहा कि बैंक ने नवंबर 2005 में इजाजत दे दी थी, लेकिन यह साफ कर दिया कि टीम उन्हें शामिल नहीं किया जाना चाहिए जो कर्मचारी नहीं हों और इसे एक निजी क्लब के रू प में माना जाएगा। उन्होंने कहा कि यह मामला अपराध शाखा के पास था और डीडीसीए ने भी अपनी जांच करवाई थी। कुछ भी नहीं पाया गया था। इसलिए ये सभी आरोप आधारहीन हैं।

चौहान ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से कई गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। हम पर आरोप है कि टीम में चयन के लिए डीडीसीए सदस्यों ने यौन संबंध बनाने की मांग की और आयु वर्ग में चयन के लिए पैसे लिए गए। यह सरासर गलत है। डीडीसीए के खिलाफ लगाए गए ये गंभीर आरोप हैं। आप यों ही बेबुनियाद आरोप नहीं लगा सकते हैं। हमें सबूत भी चाहिए। इस तरह के आरोप हैं तो हमें इनके बारे में कुछ भी पता नहीं है। हमसे कभी किसी ने कोई शिकायत नहीं की।

चौहान ने कहा कि इस तरह का मामले बेहद संवेदनशील है। हम सुनिश्चित करेंगे कि उनकी पहचान सामने नहीं आए। लेकिन हमें इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए कुछ लिखित में चाहिए। मैं आपको आश्वासन दे सकता हूं कि हम इस मामले में गंभीरता से जांच करेंगे। कोई भी को दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा यह भी आरोप लगे हैं कि चयन समिति के सदस्यों ने खिलाड़ियों के चयन के लिए पैसा लिया गया है। मेरा मानना है कि इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाने के बजाय लोग हमसे लिखित में शिकायत करें। हम उन्हें भरोसा दिलाते हैं कि हम उन लोगों पर कार्रवाई करेंगे। चौहान ने कहा कि बिना किसी सबूत के इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाना और संगठन की छवि खराब करना ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा कि जहां भी गुंजाइश होगी हम मानहानि का मामला दर्ज करेंगे। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि आप सरकार ने डीडीसीए कामकाज में जांच के लिए पूर्व सोलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रहमण्यम को नियुक्त किया है और यह हितों का टकराव है। उन्होंने कहा कि वे दिल्ली सरकार के कानूनी सलाहकार हैं और फीस लेते हैं। वे जांच कैसे कर सकते हैं। हालांकि जब उनसे इस मामले में सबूत की बात की गई तो उन्होंने कहा कि जब जरूरत पड़ेगी तो हम इसका सबूत सामने रख देंगे।