झारखंड में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे वक्त में भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने आज लोकसभा में एक अहम मुद्दा उठाया है। भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने मांग कि है कि अनुसूचित जातियों की तरह अनुसूचित जनजातियों को भी धर्मांतरण के बाद आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में अपनी बात रखते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने कहा कि “जब ये संविधान बना, तो उस वक्त संविधान सभा का खुला मत था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण का लाभ मिले। उस दौरान ये प्रावधान किया गया कि अनुसूचित जाति (Schedule Caste) यदि अपना धर्म परिवर्तन कर लेगा तो उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।”
भाजपा सांसद ने कहा कि “अनुसूचित जातियों के लिए कहा गया कि उनका रहन-सहन, संस्कृति अलग है, इसलिए अनुसूचित जातियों को इसमें यह छूट मिली। लेकिन झारखंड में स्थिति ये है कि 1947 में 26-27 प्रतिशत आदिवासी थे और उनमें से सिर्फ 3% ईसाई थे, जिन्होंने अपना धर्मांतरण किया था। आज स्थिति ये है कि झारखंड के 26% आदिवासियों में से करीब 20% आदिवासियों का धर्मांतरण हो चुका है और उनका पूरी संस्कृति बदल गई है। धर्मांतरण करने वाले लोग उन्हें आर्थिक तौर पर, शैक्षिक तौर पर प्रभावित करते हैं। ऐसे में भारत सरकार से मेरी मांग है कि अनुसूचित जातियों की तरह अनुसूचित जनजातियों को भी धर्मांतरण करने के बाद आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए।”
अनुसूचित जातियों को धर्मांतरण के बाद अनुसुचित जाति की तरह आरक्षण बंद करने का आग्रह भारत सरकार से लोकसभा में आज की@narendramodi @AmitShah #ParliamentWinterSession pic.twitter.com/QJLo1SH1br
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) November 20, 2019
झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने बुधवार को संसद में झारखंड के संताल परगना में एनआईए का ऑफिस खोलने की मांग की थी। बता दें कि संताल परगना साइबर अपराधियों का गढ़ माना जाता है। इसके साथ ही भाजपा सांसद ने संताल में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण होने के भी आरोप लगाए। भाजपा सांसद के अनुसार, इसके पीछे पाकिस्तान और चीन का भी हाथ हो सकता है, इसे देखते हुए यहां एनआईए का कार्यालय खोले जाने की जरुरत है।
भाजपा सांसद ने सदन में अपनी बात रखते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार की नीतियों की वजह से झारखंड में नक्सलवाद और आतंकवाद खूब फला-फूला। बता दें कि झारखंड में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा की कोशिश धर्मांतरण का मुद्दा उठाकर चुनावों में इसका लाभ लेने की लग रही है।

