महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच जिला परिषद और पंचायत समितियों के उपचुनाव में साथ-साथ रहने के लिए सीटों को लेकर समझौता हो गया है। इस समझौते को हालांकि दोनों ही दलों के नेता गठबंधन नहीं मान रहे हैं, लेकिन इससे यह कयास लगाया जाने लगा है कि आगे भी दोनों दल एक-दूसरे के करीब आ सकते हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और शिवसेना साथ-साथ रहती थीं, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर मनमुटाव के बाद शिवसेना ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ महाविकास अघाड़ी के नाम से गठबंधन कर सरकार बना ली। खुद शिवसेना के उद्धव ठाकरे को सीएम पद भी मिल गया। इससे शिवसेना, जो कांग्रेस की घोर विरोधी पार्टी थी, के उसके साथ जाने से राजनीति विश्लेषकों ने उस समय यह उम्मीद जताई थी कि शायद भविष्य में भाजपा शिवसेना की विरोधी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) को साथ में ले सकती है।

अब जब भाजपा और मनसे में पालघर जिला परिषद और उसकी पंचायत समितियों के आगामी उपचुनाव के लिए सीटों को लेकर सहमति बनी है तब इस तरह के कयास फिर लगाए जाने लगे हैं। हालांकि केन्द्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता पाटिल ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि उनकी पार्टी और राज ठाकरे नीत मनसे में कोई ‘‘गठबंधन नहीं’’ है लेकिन उन्होंने ‘‘सीटों को लेकर समझौता’’ करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि संबंधित क्षेत्र में जो पार्टी मजबूत होगी वह उस सीट पर चुनाव लड़ेगी और दूसरी पार्टी वहां अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी।

केन्द्रीय मंत्री कपिल पाटिल ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच पालघर जिला परिषद और उसकी पंचायत समितियों के आगामी उपचुनाव के लिए सीटों को लेकर सहमति बन गई है। महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने हाल ही में घोषणा की थी कि उच्चतम न्यायालय द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण रद्द किए जाने के बाद खाली हुई सीटों के लिए उपचुनाव पांच अक्टूबर को होंगे। यह उपचुनाव पालघर सहित छह जिला परिषदों और उनकी पंचायत समितियों के लिए होंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘ जब विकास और अच्छे काम करने की बात आती है तो मनसे से हाथ मिलाने में क्या हर्ज है..?’’ कहा कि इस तरह की सहमति कितनी सीटों पर बनी है, इसकी जानकारी बाद में दी जाएगी। मनसे की पालघर तथा ठाणे इकाई के प्रमुख अविनाश जाधव ने कहा कि इस सहमति के अनुसार, जहां से भी एक पार्टी चुनाव लड़ेगी, वहां दूसरी पार्टी अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी।