External Affairs Minister S Jaishankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत पर टैरिफ लगाने को लेकर अमेरिका और यूरोप पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड प्रोडक्ट खरीदने में दिक्कत है, तो मत खरीदो। कोई आपको इसके लिए मजबूर नहीं कर रहा। यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है। अगर आपको नहीं पसंद, न खरीदें।

इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फ़ोरम 2025 में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि यह हास्यास्पद है कि व्यापार-समर्थक अमेरिकी प्रशासन के लोग दूसरों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहे हैं। अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड उत्पाद खरीदने में कोई समस्या है, तो उसे न खरीदें। कोई आपको उसे खरीदने के लिए मजबूर नहीं करता। यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है, इसलिए अगर आपको वह पसंद नहीं है, तो उसे न खरीदें।

विदेश मंत्री जयशंकर का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर तनाव बना है। अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया। जिसमें 25 प्रतिशत टैरिफ भारत पर लागू हो चुका है, जबकि 25 प्रतिशत टैरिफ 27 अगस्त से लागू करने की बात कही है। रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर ये पेनल्टी लगाई गई है।

जयशंकर ने कहा कि 2022 में जब तेल की कीमतें बढ़ीं, तो दुनियाभर में चिंता बढ़ गई। उस समय कहा गया था कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना चाहता है, तो खरीदने दें. क्योंकि इससे कीमतें स्थिर हो जाएंगी। भारत की खरीदारी का उद्देश्य बाजारों को शांत करना भी है। हम कीमतों को स्थिर रखने के लिए रूस से तेल खरीद रहे हैं। यह राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों के हित में है।

विदेश मंत्री ने साफ कहा कि हम रूस के साथ व्यापार बढ़ाना चाहेंगे। मेरी रूस यात्रा के दौरान हुई बातचीत में हमने द्विपक्षीय संबंधों पर फोकस किया। रूस-यूक्रेन जंग को लेकर हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट रहा है। हम इस मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान चाहते हैं।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर 19 से 21 अगस्त तक रूस दौरे पर थे। उन्होंने यहां पर व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग (IRIGC-TEC) पर आयोजित भारत-रूस इंटरनेशनल कमीशन के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता की थी।

अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता जारी है- जयशंकर

अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता पर जयशंकर ने कहा कि बातचीत जारी है, लेकिन भारत का रुख मजबूत है। बातचीत में कई सीमा रेखाएं हैं और हमें उनके बारे में स्पष्ट होना होगा, लेकिन हम किसानों और छोटे व्यवसायों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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जयशंकर ने कहा कि अमेरिका और चीन के भारत के संबंधों में सहयोग और विवाद दोनों देखे गए हैं, लेकिन कुल मिलाकर मामला सकारात्मक रहा है। अभी कुछ मुद्दे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि हमारे बीच पहले कभी कोई मुद्दे नहीं थे। रिश्ते के अन्य पहलू मजबूत हैं। ओबामा के कार्यकाल में वॉशिंगटन ने चीन के साथ G2 फ्रेमवर्क का आइडिया दिया था, लेकिन ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिकी विदेश नीति का नजरिए में बदलाव हुआ है।

भारत-पाकिस्तान संबंधों पर जयशंकर

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम कराने के ट्रम्प के दावे के संबंध में जयशंकर ने भारत में इस राष्ट्रीय सहमति पर प्रकाश डाला कि वह अपने पड़ोसी से संबंधित मामलों में किसी भी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता है।

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