नोएडा आने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है, इस मिथक को तोड़ने में योगी आदित्यनाथ सफल हुए हैं। उन्होंने तीन दशक पुराने रेकार्ड को तोड़ दिया है। योगी का दोबारा मुख्यमंत्री तय माना जा रहा है। अपने कार्यकाल के दौरान बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 20 बार से ज्यादा यहां आए। यहां तक कि पिछले महीने गौतम बुद्धनगर की जेवर सीट से भाजपा प्रत्याशी ठाकुर धीरेंद्र सिंह के समर्थन में प्रचार समाप्ति से महज कुछ देर पहले भी एक सभा को उन्होंने संबोधित भी किया। वहीं, 1967 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ सरकार की दोबारा वापसी हुई है।

साल 1988 से यह मिथक था कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह नोएडा गए थे और उनकी कुर्सी चली गई थी। फिर एनडी तिवारी मुख्यमंत्री बने, वे 1989 में नोएडा के सेक्टर-12 के एक पार्क का उद्घाटन करने आए थे। उसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस सत्ता हासिल नहीं कर पाई थी। मुख्यमंत्री रहते हुए कल्याण सिंह की भी नोएडा आने के कुछ दिन बाद कुर्सी छिन गई थी। तब नेताओं के दिलों-दिमाग पर नोएडा आने से कुर्सी जाने का मिथक इस कदर हावी हो गया था कि राजनाथ सिंह ने डीएनडी का उद्घाटन नोएडा के बजाए दिल्ली से किया था।

इसी मान्यता के कारण अखिलेश यादव ने भी पांच साल मुख्यमंत्री रहते हुए नोएडा जाने से पहेज किया। मगर योगी आदित्यनाथ ने इस डर को दूर कर दिया। अपने पांच साल के कार्यकाल में वे कई बार नोएडा आए और दर्जनों योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। गौतम बुद्ध नगर के गांव बादलपुर की रहने वाले बसपा प्रमुख मायावती ने मुख्यमंत्री रहते हुए 2007-12 के कार्यकाल के दौरान नोएडा आने के डर को दूर करने की कोशिश की और दो बार नोएडा आई लेकिन चुनाव में उनकी सरकार के हार जाने से यह मिथक फिर से नेताओं के दिमाग पर हावी हो गया था।

कई मुख्यमंत्रियों की चली गई कुर्सी

साल 1988 से यह मिथक था कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह नोएडा गए थे और उनकी कुर्सी चली गई थी। फिर एनडी तिवारी मुख्यमंत्री बने, वे 1989 में नोएडा के सेक्टर-12 के एक पार्क का उद्घाटन करने आए थे। उसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस सत्ता हासिल नहीं कर पाई थी। मुख्यमंत्री रहते हुए कल्याण सिंह की भी नोएडा आने के कुछ दिन बाद कुर्सी छिन गई थी।