इस बार के महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा पूरी तरफ हिंदुत्व के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों को घेरने का काम कर रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से बंटेंगे तो कटेंगे नारे का लगातार इस्तेमाल किया है, साफ संकेत मिल चुका है कि फिर भाजपा अपने कई साल पुराने फार्मूले पर वापस लौट जा रही है। एक समय जिस तरह से राम मंदिर का मुद्दा भुनाया जाता था, अब उसी कड़ी में हिंदू वोटरों को एकमुश्त करने के लिए इस नारे का इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन महाराष्ट्र बीजेपी को इस समय कई चिंताएं भी सता रही हैं, इन चिताओं का एक कारण सीएम योगी का यही नारा है- बंटेंगे तो कटेंगे।
महायुति को नहीं पसंद- बंटेंगे तो कटेंगे?
असल में सीएम योगी ने तो पूरे जोश के साथ इस नारे के जरिए हुंकार भरी है, पीएम मोदी ने भी अपने अंदाज में ही सही उस नारे का समर्थन किया है, लेकिन महायुति में हर कोई इस बयान से उतना सहज नजर नहीं आ रहा। बात चाहे बीजेपी के कुछ नेताओं की हो या फिर अजित पवार की, हर कोई सीएम योगी के इस नारे से दूरी बनाने की कोशिश कर रहा है। एक तरफ एनसीपी अध्यक्ष अजित पवार ने दो टूक कह दिया है कि ऐसा नारा महाराष्ट्र में काम नहीं करने वाला है। बीजेपी के ही दो नेता पंकजा मुंडे और अशोक चह्वाण ने भी अपनी आपत्ति दर्ज करवा दी है।

बीजेपी नेताओं ने बनाई योगी के बयान से दूरी?
बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे ने कहा कि मेरी राजनीति पूरी तरह अलग है, मैं सीएम योगी के बयान सिर्फ इसलिए समर्थन नहीं कर सकती क्योंकि वे मेरी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। मेरा मानना है कि विकास के नाम पर ही राजनीति करनी चाहिए। अब पंकजा मुंडे का यह बयान बताने के लिए काफी है कि वे हिंदुत्व को लेकर भाजपा की इस आक्रामक नीति से बिल्कुल भी सहज नहीं हैं। लेकिन जब विवाद ज्यादा बढ़ा और तकरार की खबरें आने लगी, सामने से आकर उन्हें बोलना पड़ा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया।
कुछ समय पहले ही कांग्रेस को छोड़ भाजपा में आने वाले अशोक चह्वाण ने भी बीजेपी की टेंशन बढ़ने का काम किया है। एक इंटरव्यू में उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि बंटेंगे तो कटेंगे कोई बीजेपी का नारा नहीं है बल्कि किसी तीसरी पार्टी की तरफ से दिया गया है। वे यही नहीं रुके, उन्होंने यहां तक बोल दिया कि योगी आदित्यनाथ के इन शब्दों की कोई अहमियत नहीं है।
सीएम शिंदे को देनी पड़ रही सफाई
अब बीजेपी के नेता, एनसीपी के अजित पवार ने तो सीएम योगी के बयान से दूरी बनाई है, लेकिन बात जब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की आती है तो वे दोनों योगी और मोदी के नारे को एक अलग रंग देने की कोशिश करते हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि जब बात एकजुट करने की आती है तो संदेश सिर्फ महायुति के लिए होता है। उनके मुताबिक तो पीएम मोदी और योगी चाहते हैं कि बीजेपी और उसके गठबंधन दल एकजुट होकर चुनाव लड़ें, इसी वजह से कार्यकर्ताओं को ऐसे नारों के जरिए मोटिवेट किया जा रहा है।
400 पार जैसे हश्र का क्यों डर?
लेकिन अब जानकार मानते हैं कि बीजेपी शायद खुद ही बहुत ज्यादा विश्वास में नहीं है, उसे नहीं पता कि बंटेंगे तो कटेंगे वाला नारा क्या उसे महाराष्ट्र के चुनाव में उतना फायदा दे पाएगा या नहीं। उसकी चिंता का एक कारण यह भी है कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी इसी तरह से 400 पार का नारा दिया गया था, लेकिन उस नारे का असर सकारात्मक तो नहीं हुआ, लेकिन उल्टा पार्टी को कई सीटों पर भारी नुकसान दे गया। उस एक बयान की वजह से कई इलाकों में कम वोटिंग प्रतिशत भी देखने को मिली थी। ऐसे में इस बार बीजेपी योगी की रणनीति पर भरोसा तो कर रही है लेकिन उसकी चिंताएं भी जारी हैं।