Yes Bank Crisis: बात 2004 की है। राणा कपूर ने अपने रिश्तेदार अशोक कपूर के साथ मिलकर यस बैंक की शुरुआत की थी। आज यह देश का चौथा सबसे बड़ा निजी बैंक है। पूरे देश में इसकी मौजूदगी है। करीब 1000 से ज्यादा ब्रांच और 1800 से ज्याद एटीएम है। पीएम मोदी ने जब 2016 में नोटबंदी की थी, तो राणा कपूर ने इस कदम की तारीफ की थी। लेकिन अब इस बैंक के ग्राहकों की पूंजी फंस गई है।
रिजर्व बैंक यस बैंक के निदेशक मंडल को भंग कर प्रशांत कुमार को प्रशासक की जिम्मेदारी सौंपी है। रिजर्व बैंक ने एक महीने तक ग्राहकों के लिए निकासी की सीमा 50 हजार पर सीमित कर दी है। बैंक की मोबाइल और नेटबैंकिंग सेवा भी ठप्प हो गई है। ग्राहक काफी परेशान हैं और उन्हें अपनी जमा पूंजी को लेकर चिंता भी सताने लगी है।
यस बैंक संकट पर सोशल मीडिया यूजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राणा कपूर पर निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लिखते हैं, ” नो यस बैंक। मोदी और उनके उपायों ने भारत की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया।” वरिष्ठ पत्रकार अजित अंजुम ने लिखा है, “मोदी मोदी करते रहे, यस बैंक को डुबाते रहे, ये हैं श्री राणा कपूर। यस बैंक के संस्थापक और डुबाबक। यस बैंक क्राइसिस के लिए जिम्मेदार इस शख्स का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा , खाता धारकों का चैन हराम ज़रूर होगा। यस बैंक को बनाने और रसातल में पहचाने वाले कपूर साहब यही हैं।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने ट्वीट किया, “क्या सरकार इस बात की पुष्टि करेगी कि यस बैंक की ऋण पुस्तिका भाजपा की निगरानी में ऐसे बढ़ी है: FY2014: 55,000 करोड़, FY2015: 75,000 करोड़, FY2016: 98,000 करोड़, FY2017: 1,32,000 करोड़, FY2018: 2,03,000 करोड़ और FY2019: 2,41,000 करोड़।” कांग्रेस के सोशल मीडिया प्रभारी रोहन गुप्ता ने लिखा, “5 ट्रिलियन इकनॉमी बनाने वालों ने हमारे बैंकिंग सेक्टर को भी ध्वस्त कर दिया है। पीएमसी बैंक के बाद अब यस बैंक के उपभोक्ताओं पर ‘5 टन’ वालों की आर्थिक नीतियां कहर बनकर टूटेंगी!”
ट्विटर यूजर अशरफ हुसैन @AshrafFem ने लिखा, “RBI के डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन ने इस्तीफा दिया, बीते 15 महीने में तीन गवर्नर- डिप्टी गवर्नर इस्तीफा दे चुके हैं। कुछ दिनों पहले RBI गवर्नर उर्जित पटेल ने भी इस्तीफा दिया था। उधर यस बैंक डूब रहा, पीएफ ब्याज दर घटा दी गई। लगता है बैंकिंग सेक्टर में भी दंगा सी, बाकी सब चंगा सी।”
लेखक निदेशक अविनाश दास ने लिखा, “यस बैंक बुलाती है, मगर जाने का नहीं, ब्याज़ के फेर में एफडी करवाने का नहीं। ‘मोदी है तो मुमकिन है’ सुनकर, बैंकों में कमाई को डुबाने का नहीं। फर्जी हैं आंकड़े, फर्जी है बैलेंस शीट, बोले तो, झांसे में आने का नहीं। शादी है घर में, पईसा नहीं मिल रहा, वोट देते समय भूल जाने का नहीं।”