टेरर फंडिंग समेत कई मामलों में सजायाफ्ता यासीन मलिक की पत्नी हुसैन मलिक ने अदालत के फैसले के बाद जहर उगलते हुए कहा कि भारत की कंगारू अदालत फैसला देने जा रही है। यासीन मलिक सबसे बहादुर शख्स हैं, जिन्होंने इस दौर के हिटलर मोदी को चुनौती दी है। हम सभी यासीन मलिक हैं। उनका कहना था कि कश्मीर के शेर के लिए सभी दुआ करें। वो किसी भी हालात में सरेंडर नहीं करने जा रहे हैं।

यासीन की पत्नी मुशाल हुसैन मलिक ने अदालत के फैसले पर ही सवाल उठाए हैं। यासीन मलिक को कुल 9 मामलों में सजाए हुई हैं। यूएपीए और आईपीसी की धारा 121 के तहत उसे उम्र कैद की सजा दी गई है। इसके अलावा भी उसे 4 सजाएं दी गई हैं। सभी एक साथ चलेंगी। उस पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया है। इनमें सबसे बड़ी सजा उम्रकैद की है। कुल मिलाकर यासीन को सारी उम्र अब जेल में ही रहना होगा। हालांकि, उसके वकील ने कहा कि ये फैसला पूरी तरह से गलत है। वो इस सजा को बड़ी अदालत में चुनौती देने जा रहे हैं।

1966 में जन्मा यासीन स्वतंत्र कश्मीर का पैरोकार रहा है। वो जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का अध्यक्ष रह चुका है। यासीन ने कश्मीर घाटी में सशस्त्र उग्रवाद का नेतृत्व किया था। 1991 में अरेस्ट के बाद मलिक ने हिंसा छोड़ दी। उसके बाद वो बातचीत के रास्ते पर आ गया था। यासीन को टेरर फंडिंग मामले में 19 मई को मलिक को दोषी करार दिया गया था।

उधर, सजा के बाद जम्मू कश्मीर में यासीन मलिक के घर के पास ही पत्थरबाजी की घटना भी हुई। कुछ लोगों ने सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके थे, लेकिन उन्हें जवानों ने खदेड़ दिया। यासीन को सजा के बीच श्रीनगर के कई इलाकों में बाजार बंद रहे और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती रही। यासीन को सजा के बाद दिल्ली और एनसीआर में अलर्ट कर दिया गया है। दिल्ली पुलिस संवेदनशील इलाकों में लगातार नजर रख रही है।

यासीन मलिक को सजा सुनाए जाने से पाकिस्तान में खलबली मच गई है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस फैसले के लिए भारत की आलोचना की है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि भारत यासीन मलिक के शरीर को कैद कर सकता है लेकिन वह कभी भी उस स्वतंत्रता के विचार को कैद नहीं कर सकता जिसका वह प्रतीक है। उनका कहना है कि भारत कभी भी कश्मीरियों की आजादी और आत्मनिर्णय की आवाज को चुप नहीं करा सकता। हम सभी लोग उनके साथ खड़े हैं।