पूर्व केंद्रीय मंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता यशवंत सिन्हा (Yashvant Sinha) ने मंगलवार को उन्होंने इशारों-इशारों में इस बात का संकेत दे ही दिया कि वो विपक्षी नेताओं के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर रहे हैं। जहां तृणमूल कांग्रेस ने यशवंत सिन्हा के नाम पर जोर दिया वहीं कांग्रेस और वामपंथी दल इस बात पर जोर दे रहे थे कि बीजेपी के पूर्व नेता पहले अपनी पार्टी के पद से इस्तीफा तो दें ताकि वो विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर उभर सकें।
इस्तीफा देने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री सिन्हा ने ममता बनर्जी की तारीफ करते हुए कहा,’टीएमसी में उन्होंने मुझे जो सम्मान और सम्मान दिया, उसके लिए मैं ममता जी का हमेशा आभारी रहूंगा। अब एक समय आ गया है जब एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी से हटकर विपक्षी एकता के लिए काम करना होगा। मुझे यकीन है कि वह इस कदम को स्वीकार कर लेंगी।”
आपको बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी नीत एनडीए सरकार ने सिन्हा केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी थी। साल 2018 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी छोड़कर टीएमसी ज्वाइन कर ली थी। टीएमसी में कुछ ही दिनों के बाद उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
दूसरे विपक्षी नेताओं ने शरद पवार से मुलाकात की
इस बीच, राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त सर्वसम्मति से उम्मीदवार चुनने पर दूसरे दौर की चर्चा के लिए विपक्षी नेताओं ने मंगलवार सुबह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सुप्रीमो शरद पवार के आवास पर मुलाकात की। संयुक्त विपक्ष के अनुरोध को अस्वीकार करने के लिए सोमवार को, पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के अलावा तीसरा प्रस्तावित चेहरा बन गए।
देश में 18 जुलाई को है राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव
आपको बता दें कि अगले महीने की 18 तारीख को देश में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। ऐसे में अपने लिए विपक्ष की ओर से संयुक्त उम्मीदवार पर फैसला करने के लिए विपक्षी दलों की मंगलवार को दिल्ली में बैठक होने वाली है। मंगलवार की सुबह ही पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपने इस्तीफा देने की जानकारी ट्विटर पर साझा की। अब 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में विचार किया जा सकता है।
