इस समय जब रूस-यूक्रेन युद्ध सहित विभिन्न भू-राजनीतिक कारणों से वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर है, भारत की विकास दर ऊंची बनाए रखने के लिए घरेलू बाजार की मजबूती जरूरी है। हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार वित्तवर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) यानी विकास दर अनुमान से कम 5.4 फीसद रह जाने का प्रमुख कारण घरेलू बाजार का कमजोर हो जाना है।
यह कमजोरी प्रमुख रूप से महंगाई, सरकारी व्यय में कमी, जीएसटी संबंधी उलझनें तथा अधिक ‘लाजिस्टिक’ लागत जैसे घटकों के कारण दिखाई दे रही है। ऐसे में, हर संभव उपायों से घरेलू बाजार की रफ्तार बढ़ाने पर ध्यान देना जरूरी है। ‘डेलाइट इंडिया’ की ‘इंडियाज होम एंड हाउसहोल्ड मार्केट रिपोर्ट 2024’ में कहा गया है कि भारत का घरेलू बाजार दस फीसद से अधिक की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है। इस तेज गति से वर्ष 2030 तक भारत का घरेलू बाजार लगभग 237 अरब डालर की ऊंचाई पर पहुंच सकता है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में चमकता हुआ सितारा है भारत
निश्चित रूप से भारत के घरेलू बाजार की मजबूती में देश में वस्तुओं, सेवाओं, कृषि उत्पादों और प्रतिभूतियों की बढ़ती हुई मांग और आपूर्ति की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इसके अलावा डिजिटलीकरण, खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता, कृषि का तेज विकास, ‘मैन्युफैक्चरिंग हब’ बनने की डगर, युवा उपभोक्ताओं की बढ़ती क्रय शक्ति तथा छलांगें लगा कर बढ़ता सेवा क्षेत्र भी घरेलू बाजार को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण है। इसमें कोई दो मत नहीं कि देश की अर्थव्यवस्था में घरेलू बाजार अहम भूमिका निभा रहा है।
विकास में सहभागिता से दूर युवाशक्ति, देश में मुफ्तखोरी बनाम ‘शार्टकट संस्कृति’ तेजी से बढ़ी
विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने कहा कि इस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था में चमकते हुए सितारे के रूप में रेखांकित हो रही भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में भारत के घरेलू बाजार की बड़ी भूमिका है। अमेरिका के सबसे बड़े बैंक जेपी मार्गन के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी जेमी डिमान के मुताबिक घरेलू बाजार के दम पर तेजी से आगे बढ़ती भारत की अर्थव्यवस्था को देख कर दुनिया अचंभित है। स्विस कंपनी एसआइजी के सीईओ सैमुअल सिग्रिस्ट ने कहा है कि दुनिया में भारत का घरेलू बाजार तेजी से कारोबार बढ़ाने की सारी विशेषताएं रखता है।
‘वोकल फार लोकल’ के मंत्र को बढ़ाना होगा आगे
निस्संदेह देश में तेजी से आत्मनिर्भरता की नीति और ‘वोकल फार लोकल’ के मंत्र को आगे बढ़ाना होगा। इससे हमारे स्थानीय और घरेलू बाजार मजबूत होंगे। वर्ष 2014 से लगातार स्थानीय उत्पादों के उपभोग और स्थानीय श्रम को अच्छे मूल्य पर जोर दिए जाने जैसे अभियान से शहरों से गांवों तक स्वदेशी सामान की खरीदी में जोरदार उछाल आया है। चीन से त्योहारी उत्पादों के आयात में कमी के साथ-साथ खिलौनों और दवा बनाने की मूल सामग्री ‘बल्क ड्रग इंटरमीडिएटस’ (एपीआइ) के आयात में भी सराहनीय कमी आई है। विनिर्माण क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए सरकार रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रही है। भारत में घरेलू बाजार को तेजी से बढ़ाने में डिजिटलीकरण की भूमिका को बढ़ाना होगा। इससे जहां भारत में वित्तीय समावेश में मदद मिल रही है, वहीं डिजिटलीकरण लागत को कम करने, घरेलू अर्थव्यवस्था को अधिक कुशल बनाने और सेवाओं को सस्ता करने में भी प्रभावी योगदान दे रहा है। इससे भारतीय घरेलू बाजार को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में सहायता मिल रही है।
‘इन्फोसिस’ के सह संस्थापक नंदन नीलेकणी का कहना है कि भारत ने अपने अनोखे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और नई डिजिटल पूंजी के सहारे पिछले दस साल में घरेलू बाजार को वह ऊंचाई दी है, जिसे पारंपरिक तरीके से काम करते हुए पाने में पांच दशक तक लग जाते। दुनिया की नजरों में यह युग भारत के घरेलू बाजार को रफ्तार देने का युग है। दुनिया में भारत ग्लोबल ‘फिनटेक एडाप्शन’ के मामले में पहले क्रम पर है। इंटरनेट उपभोक्ताओं के मामले में दूसरे क्रम पर है। स्टार्टअप के मामले में तीसरे और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता मामले में चौथे क्रम पर है। दरअसल, हमारे पास उभरता हुआ विशाल बाजार, युवाओं में जबर्दस्त ढंग से आगे बढ़ने की ललक, उद्यमिता की भावना और सुधार का रवैया आदि ऐसे कारण हैं, जिनसे वैश्विक संघर्ष और चुनौतियों के बावजूद भारत में नए अवसरों की बहुलता है।
कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित
घरेलू निवेशकों के दम पर, चुनौतियों के बीच, भारतीय शेयर बाजार अपनी प्रभावशीलता बनाए हुए हैं। सरकार ने कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया है। देश में कृषि उन्नयन, खेती में नवाचार को प्रोत्साहन देने, लागत को कम करते हुए उत्पादन के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने का अभियान आगे बढ़ाया है। घरेलू बाजार को मजबूत बनाने के लिए खाद्य पदार्थों की तेजी से बढ़ती महंगाई को रोकने और विकास की जरूरतों के बीच उपयुक्त तालमेल जरूरी है। चौदह नवंबर को जारी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्तूबर में थोक महंगाई दर बढ़ कर 2.36 फीसद पहुंच गई, जो चार महीने का उच्चतम स्तर है। बीते महीने खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से सब्जियों और विनिर्मित वस्तुएं महंगी हो गई हैं। जिन राज्यों में महंगाई सबसे ज्यादा बढ़ी हैं, उनमें छत्तीसगढ़, बिहार, ओड़िशा, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश प्रमुख हैं।
दुनिया में भारत की साख हुई बेहतर, चिकित्सा में आत्मनिर्भरता के कदम
ऐसे में सरकार को कुछ महत्त्वपूर्ण उपायों पर ध्यान देकर घरेलू बाजार को मजबूत बनाने की रणनीति पर आगे बढ़ना होगा। ‘लाजिस्टिक’ लागत घटाने के लिए ‘नेशनल काउंसिल आफ एप्लाइड इकनामिक रिसर्च’ की उस रपट पर ध्यान देना होगा, जिसमें कहा गया है कि 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद में लाजिस्टिक की लागत 7.8 से 8.9 फीसद रही, वही स्थिति अब भी है। साथ ही, शहरी क्षेत्रों में ई-कामर्स के क्षेत्र में वाहनों के आवागमन की लागत कुल लाजिस्टिक लागत का 50 फीसद है। ऐसे में शहरों में माल की आवाजाही के प्रबंधन और लाजिस्टिक की लागत कम करने के लिए उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग ने महानगरों के लिए जो व्यापक शहरी लाजिस्टिक योजना (सीएलपी) तैयार की है, उसे तेजी से लागू करना होगा। यह पहल इसलिए लाभप्रद हो सकती है, क्योंकि इसका लक्ष्य माल और लाजिस्टिक प्रबंधन को सुसंगत बनाना और वाहनों से जुड़ी गतिविधियों को भीड़-भाड़ और प्रदूषण से बचाते हुए जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करना है।
चालू वित्तवर्ष की दूसरी तिमाही में रफ्तार पड़ी धीमी
उम्मीद है कि सरकार घरेलू बाजार को मजबूती देने के लिए आत्मनिर्भरता की नीति और ‘वोकल फार लोकल’ के मंत्र को देश के कोने-कोने में ले जाएगी। उम्मीद है कि जीएसटी और आय कर में सरलता लाई जाएगी। निवेश के लिए अधिक अनुकूल माहौल बनाया जाएगा। कृषि सुधारों जैसे रणनीतिक कदमों से देश के घरेलू बाजार की गतिशीलता बढ़ाई जाएगी। ऐसे में जीडीपी के नए आंकड़ों के तहत चालू वित्तवर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था की धीमी पड़ी रफ्तार को बढ़ाया जा सकेगा। घरेलू बाजार की मजबूती से चालू वित्तवर्ष 2024-25 के तहत विकास दर सात फीसद से अधिक की ऊंचाई पर पहुंच सकेगी।
दुनिया की नजरों में यह युग भारत के घरेलू बाजार को रफ्तार देने का युग है। दुनिया में भारत ग्लोबल ‘फिनटेक एडाप्शन’ के मामले में पहले क्रम पर है। इंटरनेट उपभोक्ताओं के मामले में दूसरे क्रम पर है। स्टार्टअप के मामले में तीसरे और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता मामले में चौथे क्रम पर है। दरअसल, भारत के पास उभरता हुआ विशाल बाजार, युवाओं में जबर्दस्त ढंग से आगे बढ़ने की ललक, उद्यमिता की भावना और सुधार का रवैया आदि ऐसे कारण हैं, जिनसे वैश्विक संघर्ष और चुनौतियों के बावजूद भारत में नए अवसरों की बहुलता है।