पिछले 7 महीने से भी अधिक समय से देशभर से आए किसान दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं। किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क़ानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दे पर चर्चा के दौरान किसान नेता टीवी डिबेट में मौजूद पैनलिस्ट से भिड़ गए। दोनों ने जब एक दूसरे के ऊपर निजी हमले करने शुरू कर दिए तो एंकर ने दोनों का माइक बंद करा दिया।

दरअसल न्यूज़ 18 इंडिया पर आयोजित टीवी डिबेट के दौरान एंकर अमिश देवगन ने पैनलिस्ट विजय सरदाना ने पूछा कि क्या आप अभी भी किसान आंदोलन को आंदोलन ही मानते हैं या यह अपनी दिशा भटक चुका है। इसपर विजय सरदाना ने कहा कि जो भी आंदोलन होता है, वह उस बात पर निर्भर करता है कि उसका नेतृत्व कौन कर रहा है। साथ ही उन्होंने राकेश टिकैत का नाम लेते हुए कहा कि जो नेता बक्कल उतारने की बात करता हो, उसके अनुयायी क्या करेंगे। जब नेता ही ट्रैक्टर से लोगों को कुचलने की बात करता हो तो फिर उनको मानने वाले लोग क्या करेंगे। 

आगे विजय सरदाना ने कहा कि अगर किसी भी आंदोलन में नेता अराजक भाषा का इस्तेमाल करेगा तो वह आंदोलन कभी भी सामाजिक नहीं हो सकता है बल्कि वह अराजक ही होगा। विचारधारा से नेतागिरी होती है और आंदोलन चलता है। चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने भी आंदोलन किया था लेकिन उन्होंने वो हरकतें नहीं की थी। जो उनके बेटे राकेश टिकैत कर रहे हैं। महेंद्र सिंह टिकैत के बाद पश्चिमी उत्तरप्रदेश से कोई बड़ा किसान नेता नहीं हुआ। इसलिए यह उस जगह को भरने की होड़ है।

विजय सरदाना के इतना कहते ही टीवी डिबेट में मौजूद किसान नेता धर्मेंद्र मलिक बीच में टोकते हुए कहने लगे कि आप बड़े जगहों से पढ़े हो तो क्या गांव की भाषा का अपमान करोगे और आप सर्टिफिकेट दोगे कि कौन किसान नेता है। आप भाजपा के घोषित प्रवक्ता हो। इसपर विजय सरदाना धर्मेंद्र मलिक से कहने लगे कि आप सच्चाई सुनिए। इसपर धमेंद्र मलिक बोलने लगे कि आपने क्या किसान आंदोलन का इतिहास लिखा है और आप तय करोगे कि कौन किसान नेता है। इसके बाद दोनों ने एक दूसरे के ऊपर निजी हमले करना शुरू कर दिया। दोनों के बीच हो रहे निजी हमले को देखते हुए एंकर अमिश देवगन ने दोनों का माइक बंद करा दिया।  

   

बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को 7 महीने से अधिक होने के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच जनवरी महीने से ही कोई बातचीत नहीं हुई है और गतिरोध जारी है। केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक निलंबित करने का प्रस्ताव भी दिया था लेकिन किसान संगठनों ने इसे नामंजूर कर दिया था। हालांकि कृषि मंत्री ने भी साफ़ कर दिया है कि वे तीनों कानूनों के किसी भी प्रावधान पर बात करने को तैयार हैं लेकिन इन कानूनों को रद्द करने पर कोई बात नहीं होगी।