बीते 10 महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है। प्रदर्शनकारी किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा प्रदर्शनकारी किसान स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को भी लागू करने की मांग कर रहे हैं। किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दे पर एक टीवी डिबेट के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि आज स्वामीनाथन कमेटी की जगह मोदीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू की जा रही है तो डिबेट में मौजूद रहे भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने भी पलटवार किया।
न्यूज 24 पर आयोजित एंकर मानक गुप्ता के डिबेट शो में जब भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी के जवाब देने के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने बीच में टोका तो भाजपा प्रवक्ता ने उनसे सवाल पूछते हुए कहा कि आपने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट की बात कही तो ये बताइए कि उन्होंने एमएसपी के बारे में क्या लिखा है। इसके जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग ने कहा था कि एमएसपी C2+50 होना चाहिए। लेकिन क्या आपने एक भी फसल के एमएसपी का निर्धारण इस आधार पर किया।
आगे कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि आप मोदीनाथन बन चुके हो, जुमलानाथन बन चुके हो। आज स्वामीनाथन नहीं रहे। आप ये बताएं कि आपने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दिया था कि नहीं कि अगर हम स्वामीनाथन कमेटी के अनुसार किसानों को एमएसपी देंगे तो बाजार बर्बाद हो जाएंगे। आप ये भी जवाब दीजिए कि आपने गेहूं में कितनी एमएसपी बढ़ाई।
कांग्रेस प्रवक्ता के सवाल पर जवाब देते हुए भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट पर छाती पीटने वाले कांग्रेस प्रवक्ता की सरकार ने 10 साल में कुछ नहीं बोला। लेकिन हमारी सरकार ने 2015 में इसलिए हलफ़नामा दिया कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया कि चावल और गेहूं पर एमएसपी बंद कर देना चाहिए। सिर्फ विविधता के आधार पर दिया जाना चाहिए। लेकिन हम आज भी दे रहे हैं।
बता दें कि साल 2004 के दौरान किसानों की आर्थिक दशा को सुधारने और अनाज की पैदावार बढ़ाने के लिए केंद्र ने हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन से संपर्क किया था। बाद में उनकी अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई। कमेटी ने 2006 में अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंपी। इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की बात की गई ताकि छोटे किसानों को फसल का उचित मुआवजा मिल सके।