अमलेश राजू

सुनंदा पुष्कर हत्याकांड मामले में दिल्ली पुलिस दोबारा पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। थरूर के तीन कर्मचारियों की पोलिग्राफ टेस्ट (झूठ पकड़ने वाली) कराने के फैसले इस कड़ी के पहले पायदान हैं। अगर पुलिस कोर्ट से इसमें सफल हो गई तो फिर आगे थरूर पर शिकंजा कसना निश्चित है। पुलिस को लग रहा है कि थरूर के घरेलू नौकर नारायण सिंह, चालक बजरंगी और मित्र संजय दीवान दबाव में कुछ न कुछ छिपा रहा है।

हालांकि बीते साल थरूर ने इस मामले में पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर जांच अधिकारी के हाथों नारायण सिंह के साथ शारीरिक प्रताड़ना का आरोप लगाकर मामले को पेंचीदा बना दिया था। इस मामले में शशि थरूर, उनके रिश्तेदारों व सहयोगियों के साथ ही पूर्व सांसद अमर सिह, पत्रकार नलिनी सिंह सहित दर्जनों लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। बीते साल 17 जनवरी को होटल लीला में सुनंदा की संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी। मेडिकल बोर्ड की अंतिम रिपोर्ट के बाद इस साल जनवरी में इसे हत्या का मामला मान लिया गया और जांच शुरू की गई।

सूत्रों के मुताबिक पुलिस इन तीनों चश्मदीदों से यह जानना चाहती है कि जब वे मौके पर मौजूद थे तब किसी को भी यह कैसे नहीं पता है कि सुनंदा के शरीर पर जख्म कैसे आए। पुलिस को उम्मीद है कि पोलिग्राफ टेस्ट, वाशिंगटन भेजे गए विसरा रिपोर्ट और सुनंदा के डिलीट संदेश की जांच के बाद मामले की गुत्थी सुलझ सकती है। सुनंदा के शरीर में किस तरह का जहर दिया गया था इसके लिए विसरा नमूना इसी साल फरवरी में वाशिंगटन स्थित एफबीआइ की प्रयोगशाला में भेजा गया था क्योंकि एम्स के चिकित्सकों के एक पैनल ने कहा था कि जहर की पहचान भारतीय प्रयोगशालाओं में नहीं हो सकती।

पुलिस को जनवरी में गुजरात के गांधीनगर डीएफएस को सुनंदा के भेजे दोनों लैपटॉप और चार मोबाइल फोनों के डिटेल मिल गए हैं। पुलिस का कहना है कि सभी डाटाओं की जांच के बाद अगर कुछ ऐसी चीज सामने आती है जिसके लिए हमें किसी व्यक्ति से स्पष्टीकरण करने की जरूरत हो तो निश्चित तौर पर किया जाएगा। इस मामले में एसआइटी को ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया साइटों से अभी तक वांछित जानकारी नहीं मिली है।

पुलिस का कहना है कि सुनंदा के डिलीट की गई सूचना का विश्लेषण किया जा रहा है। जांच से यह साफ हो जाएगा कि डिलीट सामग्री नियमित प्रक्रिया के तहत की गई या किसी बदनीयत से। पुलिस को इस सामग्री के बाद पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार के साथ ट्विटर पर झगड़ा के बारे में भी सच्चाई का पता चल जाएगा। कयास है कि यह झगड़ा तरार की थरूर के साथ कथित घनिष्ठता को लेकर हुआ था। एसआइटी इस मामले में शशि थरूर से तीन बार पूछताछ कर चुकी है और मामले से जुड़े कई लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है लेकिन थरूर से मेहर तरार के बारे में उसे संतोषजनक जवाब नहीं मिले हैं। पुलिस आयुक्त ने तरार से पूछताछ की संभावना को कभी भी इनकार नहीं किया और हमेशा यही कहा है कि तरार अहम कड़ी हैं लिहाजा वे कुछ जानकारी दे सकती हैं।

इस मामले में बीते साल नंवबर में तब नया मोड़ आया था जब शशि थरूर ने पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी को लिखे एक पत्र में जांच अधिकारियों के व्यवहार पर नाराजगी व्यक्त की थी। थरूर ने लिखा था कि वे और उनके सभी कर्मचारियों को पुलिस के जांच में सहयोग के बावजूद सात नंवबर को 16 घंटे नारायण सिंह से पूछताछ की गई। फिर दूसरे दिन नारायण से 14 घंटे पूछताछ हुई और उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित भी किया गया। थरूर ने लिखा था कि जांच अधिकारियों के हाथों इस प्रताड़ना का एक ही मकसद है कि सिंह से हत्या में शामिल होने की बात कबूल करवा ली जाए और उन्हें (थरूर) भी इस में शामिल माना जाए।

सूत्रों के मुताबिक अब एसआइटी जांच रिपोर्ट और साक्ष्य के बाद पुलिस आखिरकार इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि थरूर के घरेलू इन तीनों कर्मचारियों के बयान में कुछ संदेह है और जैसे ही इनके पोलिग्राफ जांच होंगे वे सभी संदेह सामने आ जाएंगे। सामने आने के बाद थरूर के बयानों से इसे मिलाया जाएगा और संभव है तब देश के एक बड़े चर्चित हत्याकांड की गुत्थी सुलझ सकती है।