नई दिल्ली। भारत को विनिर्माण और कल-कारखानों का एक प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में पहल करते हुए प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की शुरुआत की और अपनी सरकार की तरफ से निवेशकों को सरल व कारगर व्यवस्था उपलब्ध कराने का वादा किया। सरकार की तरफ से इस अवसर पर श्रम कानूनों में कुछ संशोधन किए जाने का भी संकेत दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में किए गए आह्वान को हकीकत का रूप देते हुए मेक इन इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसमें देश-दुनिया के जाने माने उद्योगपतियों व प्रमुख कारोबारियों ने विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के प्रति अपने समर्थन का वादा किया।

मोदी ने कहा कि दो-तीन साल पहले का निराशाभरा वह समय बीत चुका है जब भारत से उद्योगपति बाहर जाने के बारे में सोचने लगे थे। उन्होंने कहा कि अब सरकार का ध्यान ढांचागत सुविधाओं को खड़ा करने के साथ-साथ भारत को निर्माण गतिविधियों का बड़ा केंद्र बनाने के लिए डिजिटल नेटवर्क तैयार करने पर है, ताकि देश में कार से लेकर साफ्टवेयर, उपग्रह से लेकर पनडुब्बी तक और औषधि से लेकर बंदरगाह व कागज से लेकर बिजली तक का निर्माण यहां किया जा सके।

इस अवसर पर देश दुनिया के जानेमाने उद्योगपति, रिलायंस उद्योग के मुकेश अंबानी, टाटा समूह के साइरस मिस्त्री, विप्रो के अजीम प्रेमजी, आदित्य बिड़ला समूह के कुमार मंगलम बिड़ला, मारूति सुजूकी के केनिची आयुकावा, लॉकहीड मार्टिन के फिल शा और आइटीसी के चेयरमैन वाइसी देवेश्वर उपस्थित थे। प्रधानमंत्री मोदी ने हालांकि इस अवसर पर अपने संबोधन में कोई बड़ी घोषणा नहीं की लेकिन वाणिज्य व उद्योग राज्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि कामकाज के घंटों में लचीलापन लाने के लिए हमारी सरकार कई तरह के श्रम कानूनों में संशोधन कर रही है।

सीतारमन ने कहा कि मेक इन इंडिया हमारा मिशन है जिसे आगे बढ़ाने के लिए हम लाइसेंस और गैर जरूरी नियमन समाप्त करने, लालफीताशाही दूर करने और कारोबार के रास्ते में आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम खुले दिमाग से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार देश की 1,900 अरब डालर की अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र का हिस्सा मौजूदा 15 फीसद से बढ़ाकर 25 फीसद तक पहुंचाना चाहती है।

मोदी ने कहा कि वैश्विक कंपनियां एशिया आना चाहती हैं लेकिन उन्हें पता नहीं है कि एशिया में कहां जाना है। उन्होंने कहा कि भारत ही एकमात्र देश है जहां लोकतंत्र है, जनसंख्या में युवाओं की संख्या अधिक है और मांग के लिए बड़ा बाजार है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कारोबार में सरलता के लिहाज से भारत काफी निचले पायदान पर है, इस स्थिति को देखते हुए उनकी सरकार ने अधिकारियों को संवेदनशील बनाया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार व्यवसायियों को प्रभावी प्रशासन व्यवस्था सुलभ कराएगी। मैं केवल बेहतर प्रशासन की बात नहीं करता हूं, मैं प्रभावी और सरल शासन व्यवस्था की बात कर रहा हूं। उन्होंने भारत को पूरी दुनिया के लिए एक प्रमुख निवेश स्थल बनाने पर जोर देते हुए कहा कि ‘लुक ईंस्ट के साथ साथ ‘लिंक वेस्ट’ पर भी गौर करना चाहिए। भारत को वैश्विक नजरिया अपनाते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

मारूति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्यकारी केनिची अयुकावा ने कहा कि हमें पूरा भरोसा है कि प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत वे कारण तेजी से खत्म होंगे जो निर्माण की प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर भारत विश्व के विनिर्माण करने वाले सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी देशों में शामिल हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार की विभिन्न नीतियों, प्रक्रियाओं, नियमों और कुछ कानूनों को जिस तरह लागू किया गया है उससे भारत में उत्पाद लागत बढ़ती है। इन बाधाओं को दूर कर दिया जाए तो भारत दुनिया में निर्माण के क्षेत्र में सबसे प्रतिस्पर्धी देश होगा।
भारती इंटरप्राइजेज के उपाध्यक्ष राजन भारतीय मित्तल ने कहा कि यह बड़ी पहल है लेकिन वास्तव में इस बात पर निर्भर करेगा कि यह किस रूप में आकार लेता है। मुझे विश्वास है आगे बढ़ने के साथ चीजें काम करने लगेंगी।