लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के सामने अपने अहम मुद्दों को आगे रखने की जुगत है। कांग्रेस पार्टी ने पिछले कुछ दिनों में ओबीसी आरक्षण पर काफी बात की है। राहुल गांधी लगातार OBC वर्ग के प्रतिनिधित्व का सवाल उठा रहे हैं और बिहार में जातिगत जनगणना के बाद ‘सामाजिक न्याय’ राजनीतिक दलों के लिए नया चुनावी मुद्दा बन गया है।
अब चर्चा इन सवालों पर हो रही है कि क्या कांग्रेस आगामी राज्य चुनावों में OBC वर्ग के लोगों को प्रमुखता से आगे बढ़ाएगी? क्या यह मुद्दा देश का मूड बदल पाएगा? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस इस मुद्दे के जरिए भाजपा की हिन्दुत्व आधारित राजनीति को टक्कर देने की कोशिश कर रही है।
क्या है कांग्रेस का प्लान?
राहुल गांधी ने 20 सितंबर को संसद में अपना भाषण देते हुए कहा था कि केंद्र सरकार के अधीन 90 संयुक्त सचिवों में से केवल तीन ओबीसी हैं। इसके बाद राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पत्रकारों से यही सवाल पूछा कि यहां कितने ओबीसी हैं। वह बिहार सरकार की जाति जनगणना की रिपोर्ट की सराहना भी कर चुके हैं। राहुल गांधी ने इसे लेकर कहा था कि जितनी आबादी उतना हक। जिसके बाद दो कांग्रेस शासित राज्यों – राजस्थान और छत्तीसगढ़ – की ओर से कहा गया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो दोनों राज्यों में जाति जनगणना कराई जाएगी।
विधानसभा चुनावों के जरिए 2024 पर नजर
कांग्रेस ने 15 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के लिए 30 उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट की घोषणा की थी। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख दीपक बैज के मुताबिक इस लिस्ट में लगभग पांच से छह ओबीसी उम्मीदवार हैं। इन 30 सीटों में से कम से कम आधी सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने 144 उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें 39 ओबीसी हैं। कांग्रेस के प्रदेश नेताओं ने कहा है कि आने वाली सूचियों में और भी ओबीसी उम्मीदवार होंगे।
इस चुनावी मौसम में जाति की बहस एक खास मुद्दा बनती हुई दिखाई दे रही है। न केवल राहुल गांधी, बल्कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सभी जातियों के बारे में बोलते रहे हैं। पीएम मोदी कह चुके हैं कि मेरे लिए आर्थिक रूप से पिछड़े लोग और गरीब देश की सबसे बड़ी आबादी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस हिंदुओं को विभाजित करने की कोशिश कर रही है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने स्वीकार किया कि प्राचीन भारत में जातिगत भेदभाव होता था और अब सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। कुछ दिन पहले आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने कहा था कि सभी को उनकी जाति के बावजूद मंदिरों के अंदर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।वरिष्ठ राजनेताओं और पदाधिकारियों द्वारा इस तरह के बयान देने से यह स्पष्ट है कि इस चुनावी मौसम में जाति का आख्यान एक प्रमुख भूमिका निभाने जा रहा है।