लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों ने इंडिया गठबंधन बनाया है। हालांकि अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों के अंदर मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं। पहले खबर आई थी कि जनवरी के पहले हफ्ते में सीट शेयरिंग पर चर्चा शुरू हो जाएगी लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। आने वाले हफ्ते में सीट शेयरिंग पर बात शुरू हो सकती है। लेकिन उससे पहले ही कांग्रेस पार्टी को अधिक सीटें देने को लेकर क्षेत्रीय दल असहज नजर आ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 80 सीटें हैं। यहां पर विपक्षी इंडिया गठबंधन की समाजवादी पार्टी का दबदबा है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की ताकत अब नहीं रह गई है। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस समाजवादी पार्टी से करीब 40 सीटें मांग सकती है तो वहीं समाजवादी पार्टी 10 से 12 सीटों से अधिक देने के मूड में नहीं है। अब देखना दिलचस्प होगा कि यहां पर सीट शेयरिंग कैसे होता है?
बंगाल में कैसे सुलझेगा मामला?
बंगाल में कुल 42 लोकसभा सीटें हैं। जबकि बंगाल की राजनीतिक स्थिति पर नजर डालें तो यहां पर आए दिन कांग्रेस और टीएमसी के बीच घमासान मचा हुआ है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस 6 से 10 सीटें चाहती है लेकिन टीएमसी केवल दो सीटों पर ही राजी नजर आ रही है। सीट शेयरिंग का सबसे ज्यादा पेचीदा मामला बंगाल में ही है। बंगाल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी खुलकर टीएमसी और ममता बनर्जी पर निशाना साधते हैं तो वहीं टीएमसी भी बंगाल की कांग्रेस इकाई को बीजेपी को दलाल बता चुकी है।
पंजाब-दिल्ली में क्या होगा?
अब बात दिल्ली और पंजाब की करते हैं, जहां आम आदमी पार्टी एक बड़ी ताकत के रूप में उभरी है। दोनों ही राज्यों में आम आदमी पार्टी की सरकार है। पंजाब में 10 और दिल्ली में 7 लोकसभा सीटें हैं और दोनों ही राज्यों में प्रदेश की इकाइयां एक दूसरे पर हमला करने से नहीं चूकती हैं। कांग्रेस पंजाब में अधिक सीटों की मांग कर रही है जबकि राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान ‘एक थी कांग्रेस’ का नारा देते हैं। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस-आम आदमी पार्टी के बीच सीटों को लेकर सहमति बन पाएगी?
महाराष्ट्र में भी मतभेद
महाराष्ट्र में भी गठबंधन में सीटों को लेकर मतभेद खुल कर सामने आ रहे हैं। शिवसेना (UBT) ने 23 सीटों पर दावा किया है। शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने कहा कि हम हमेशा से 23 सीटों पर चुनाव लड़ते आए हैं। बता दें कि महाविकास अघाड़ी को शिवसेना के अलावा कांग्रेस और एनसीपी को भी सीटें देनी है।