Muslim Quota Politics Karnataka: भाजपा ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया है कि वह एक करोड़ रुपये तक के सार्वजनिक निर्माण परियोजनाओं (Public Work Projects) में मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4 प्रतिशत कोटा आवंटित करने जा रही है। इस पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विवाद को खारिज करते हुए कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। मुख्यमंत्री ने इतना जरूर कहा कि इस संबंध में मांग की गई है।
हालांकि, कांग्रेस के कई मुस्लिम विधायकों ने कहा है कि यह प्रस्ताव “समुदाय के उत्थान के लिए आवश्यक” होगा। मुस्लिम विधायकों ने जोर देकर कहा कि उम्मीदों को अपराध नहीं माना जा सकता।
मुस्लिम विधायकों ने कहा कि 24 अगस्त को मुख्यमंत्री को सौंपी गई उनकी याचिका में पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत 1 करोड़ रुपये तक के सरकारी ठेकों में मुसलमानों के लिए कोटा की मांग की गई थी, जो राज्य में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के ठेकेदारों के लिए दिए गए समान आरक्षण के अनुरूप है।
कांग्रेस के मुस्लिम विधायकों में से एक रिजवान अरशद, जिन्होंने सार्वजनिक अनुबंधों (Public Contracts) में समुदाय के लिए 4% आरक्षण की मांग करने के लिए सरकार से याचिका दायर की थी।
रिजवान ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “यह मुसलमानों के लिए आवश्यक है क्योंकि ठेकेदारी व्यवसाय में ज़्यादातर प्रमुख समुदायों और उच्च जातियों का वर्चस्व है। नतीजतन, जब कांग्रेस पिछली बार (2013-18 के बीच) सत्ता में थी, तो उसने 50 लाख रुपये तक के सरकारी टेंडरों में एससी/एसटी के लिए 24% आरक्षण प्रदान किया था, जिसे पिछले साल पार्टी के सत्ता में लौटने के बाद बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया गया था।”
मांग करने वालों में अरशद के अलावा, अन्य याचिकाकर्ताओं में आवास और वक्फ मंत्री ज़मीर अहमद खान, नगर प्रशासन और हज मंत्री रहीम खान, सीएम के राजनीतिक सचिव और एमएलसी नसीर अहमद और विधायक तनवीर सैत शामिल थे।
मई 2023 में सिद्धारमैया सरकार के सत्ता में आने के बाद इसने सार्वजनिक कार्यों में ओबीसी का कोटा बढ़ा दिया। एससी/एसटी के लिए 24% आरक्षण के अलावा, श्रेणी-1 और श्रेणी 2ए के तहत ओबीसी को 1 करोड़ रुपये तक के सरकारी टेंडरों में क्रमशः 4% और 15% कोटा मिलता है।
मुस्लिम कोटा प्रस्ताव पर भाजपा के विरोध पर टिप्पणी करते हुए अरशद ने कहा कि ऐसी आकांक्षाओं को अपराध नहीं माना जा सकता। सामाजिक न्याय की बात करते समय लोगों को यह एहसास होना चाहिए कि हम (मुसलमान) भी समाज का हिस्सा हैं और हमें भी अवसरों की ज़रूरत है।
नाम न बताने की शर्त पर एक अन्य कांग्रेस विधायक ने कहा कि एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के ठेकेदारों की संख्या बहुत कम है। उन्होंने कहा कि आरक्षण देने से उन लोगों को मदद मिलेगी जो विभिन्न सामाजिक-आर्थिक कारणों से किसी भी टेंडर को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये आरक्षण केवल एक करोड़ रुपये से कम के टेंडर के लिए हैं।
कर्नाटक की 224 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में स्पीकर समेत सिर्फ़ आठ मुस्लिम विधायक हैं, जो सभी कांग्रेस से हैं। 75 सदस्यों वाली विधान परिषद में इस समय चार मुस्लिम एमएलसी हैं, जो कांग्रेस से हैं।
सिद्धारमैया ने बुधवार को मीडिया से कहा कि मुस्लिम समुदाय ने एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों की तर्ज पर सरकारी ठेकों में आरक्षण की मांग की है। उन्होंने कहा कि हालांकि, सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। उन्होंने भाजपा पर हर मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया।
गृह मंत्री जी परमेश्वर के अनुसार, मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को प्रस्ताव पर विचार करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि समीक्षा के बाद इसे कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। अभी तक कैबिनेट ने इस पर चर्चा नहीं की है। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस प्रस्ताव को गलत समझ रहा है।
वहीं मंगलवार को भाजपा ने इस प्रस्ताव को लेकर सरकार की आलोचना की। विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति बताया। उन्होंने सिद्धारमैया पर “अपनी खाल बचाने” के लिए प्रस्ताव से सरकार को दूर रखने के लिए कथित तौर पर झूठ बोलने का भी आरोप लगाया।
वर्तमान में मुस्लिम समुदाय को राज्य में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 2बी पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत 4% आरक्षण प्रदान किया जाता है। भाजपा मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साध रही है और आरोप लगा रही है कि कांग्रेस कथित तौर पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित कोटा कम करके इसकी योजना बना रही है। भाजपा ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों में अपने मौजूदा अभियान में भी इस मुद्दे को उठाया है। कांग्रेस ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है।
(अकरम एम की रिपोर्ट)