उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद अपने तेवरों की वजह से चर्चा में हैं। कुछ दिन पहले जब दिल्ली में निषाद पार्टी का स्थापना दिवस समारोह हुआ तो उसमें उत्तर प्रदेश में एनडीए में शामिल सभी दल मौजूद थे लेकिन भाजपा को निमंत्रण नहीं दिया गया था।
यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने तो बीजेपी को चुनौती दी थी कि अगर उसे सहयोगी दलों से कोई फायदा नहीं हो रहा रहा है तो गठबंधन खत्म कर देना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, बयान देने के बाद उसी दिन रात को प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने निषाद को फोन किया और भरोसा दिलाया कि सभी मतभेदों को सुलझा लिया जाएगा।
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संजय निषाद ने तो यह तक चेतावनी दे दी थी कि अगर आरक्षण की मांग नहीं मानी गई तो उत्तर प्रदेश विधानसभा का घेराव किया जाएगा। योगी सरकार में मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने भी घेराव किए जाने की बात का समर्थन किया।
क्यों नाराज हैं संजय निषाद?
सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर संजय निषाद किस बात को लेकर नाराज हैं? निषाद पार्टी के नेताओं का कहना है कि संजय निषाद की नाराजगी की वजह यह है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी छोटे दलों को ऐसा लग रहा है कि पार्टी उनके वोट बैंक वाले ओबीसी समुदायों के बीच अपने नेताओं को तैयार कर रही है। निषाद पार्टी को ऐसा तब ज्यादा लगा जब बीजेपी के निषाद नेताओं- जय प्रकाश निषाद और साध्वी निरंजन ज्योति ने निषाद पार्टी पर हमले किए।
यह माना जाता है कि निषाद समुदाय और इसकी उपजातियों का असर यूपी की 150 से अधिक विधानसभा सीटों पर है। निषाद पार्टी के एक नेता कहते हैं, “सपा के निषाद नेता हम पर हमला नहीं करते जबकि बीजेपी में सक्रिय निषाद समुदाय के नेता हमें निशाना बना रहे हैं।”
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अपमान करने का कोई इरादा नहीं- भूपेंद्र चौधरी
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा है कि उनकी पार्टी के किसी भी नेता का सहयोगी दल के किसी नेता का अपमान करने का कोई इरादा नहीं है और इस तरह के बयान पूरी तरह निजी हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा गठबंधन धर्म का सम्मान करती है।
पूर्व राज्यसभा सांसद जय प्रकाश निषाद और संजय निषाद के बीच गोरखपुर के सर्किट हाउस में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बहस भी हो गई थी।