पश्चिम बंगाल के बीरभूम की रहने वाली सुनाली बीबी को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया था और फिर 26 जून को बांग्लादेश में भेज दिया गया था। आठ महीने की गर्भवती महिला को अन्य लोगों के साथ बांग्लादेश के एक कोर्ट में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। बांग्लादेश पुलिस ने उनके खिलाफ पासपोर्ट अधिनियम और विदेशी अधिनियम के तहत धाराएं लगाईं।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनाली बीबी, उनके पति दानिश शेख और उनके आठ साल के बेटे के साथ अन्य परिवार को गुरुवार को बांग्लादेश के चपैनवाबगंज जिले से गिरफ्तार किया गया था और शुक्रवार को उन्हें एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया। चपैनवाबगंज जिला पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “सभी छह लोगों को चपैनवाबगंज सदर कोर्ट में पेश किया गया। चूंकि हमें उनके पास से भारत के डॉक्यूमेंट्स मिले हैं और उनके पास बांग्लादेश में एंट्री के लिए वेलिड डॉक्यूमेंट नहीं थे, इसलिए पासपोर्ट अधिनियम और विदेशी अधिनियम की धाराएं लगाई गई हैं। अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया है।”

सुनाली बीबी को भेजा गया बांग्लादेश

अधिकारी ने आगे कहा, “गर्भवती महिला को जेल के नियमों के अनुसार सभी मेडिकल सेवाएं दी जाएंगी। जरूरत पड़ने पर और जेल के डॉक्टरों की सलाह पर, वह सरकारी अस्पताल में भी मेडिकल सेवाएं हासिल कर सकती हैं।” बीरभूम जिले के पैकर गांव की रहने वाली सुनाली बीबी, उनके पति दानिश और उनके बेटे को 26 जून को दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद बांग्लादेश भेज दिया गया था। बंगाल से आए प्रवासी मजदूरों का यह परिवार पिछले 20 सालों से दिल्ली में कूड़ा बीनने का काम कर रहा है।

बांग्लादेशी घुसपैठ और असम की नागरिकता पर सवाल

स्वीटी बीबी का भी एक परिवार है। उन्हें दो बच्चों के साथ हिरासत में लिया गया और बांग्लादेश डिपोर्ट कर दिया गया। डिपोर्ट करने के बाद बांग्लादेश में एक अज्ञात जगह से सुनाली और अन्य लोगों द्वारा मदद की गुहार लगाते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। गुरुवार को सुनाली बीबी और अन्य को बांग्लादेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के बाद, पुलिस ने बताया कि परिवारों को बीएसएफ ने देश में भेजा था। ढाका में कुछ समय बिताने के बाद, वे चपैनवाबगंज जिले में एक आवास में रहने चले गए।

हम उन्हें वापस लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे – टीएमसी सांसद

पश्चिम बंगाल प्रवासी श्रमिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और टीएमसी के राज्यसभा सांसद ने कहा, “हम स्थिति से अवगत हैं और परिवारों के साथ हैं। हम उन्हें वापस लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। वे पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं और भारत के नागरिक हैं। हम उन्हें वापस लाने के लिए हर संभव कानूनी उपाय पर विचार कर रहे हैं।” पश्चिम बंगाल प्रवासी श्रमिक कल्याण बोर्ड की मदद से दोनों परिवारों के रिश्तेदारों ने कलकत्ता हाईकोर्ट में ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ मामला दायर किया। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…