प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की नई संसद बनकर तैयार हो चुकी है और कार्यवाही भी शुरू हो चुकी है, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में नया विधानसभा बनने जा रहा है। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के जयंती पर यूपी विधानसभा की आधारशिल रख सकती है। नया विधानसभा भवन 2027 में बनकर तैयार हो जाएगा। इस सबके बावजूद सवाल यह है कि आखिर यूपी में नए विधानसभा भवन की आखिर जरूरत क्यों पड़ रही है?

नए विधानसभा भवन की जरूरत क्यों पड़ रही?

उत्तर प्रदेश का मौजूदा विधानसभा भवन करीब 100 साल पुराना हो चुका है। इसमें जगह भी कम है। भविष्य में सदस्यों की संख्या और बदलती तकनीक के हिसाब से सरकार को नए विधानसभा भवन की जरूरत महसूस हो रही है। पुरान विधानसभा भवन लखनऊ के हजरतगंज में स्थित है। हजरतगंज राजधानी का प्रमुख क्षेत्र है। ऐसे में जब विधानसभा की कार्रवाई चलती है तो ऐसे में आम जनमानस को ट्रैफिक की समस्याओं से भी जूझना पड़ता है।

मौजूद विधानभवन का इतिहास-

मौजूदा विधानभवन करीब 100 साल पुराना है। इसकी नींव 15 दिसंबर, 1922 को तत्कालीन गर्वनर सर स्पेंसर हरकोर्ट बटलर ने रखी थी। यह भवन करीब छह साल में बनकर तैयार हुआ था। 21 फरवरी, 1928 को इसका उद्गाटन किया गया था।

इसका निर्माण कोलकाता की मेसर्स मार्टिन एंड कंपनी ने किया था। इसके मुख्य आर्किटेक्ट सर स्विनोन जैकब और हीरा सिंह थे। उस वक्त विधानसभा के निर्माण के लिए 21 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे। यूपी का मौजूदा विधानभवन यूरोपियन और अवधी निर्माण की मिश्रित शैली का उतकृष्ट उदाहरण है। इसमें फिलहाल 403 विधायकों की बैठने की व्यवस्था है।

जुलाई 1935 में विधान परिषदों की बैठकों और कार्यालय कक्षों के लिए एक अलग चैंबर का प्रस्ताव किया गया था। एक्सटेंशन भवन का निर्माण मुख्य वास्तुविद एएम मार्टीमर ने कराया था। इसे लोक निर्माण विभाग की देखरेख में नवंबर 1937 में पूरा किया गया था। विधान परिषद में फिलहाल 100 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है।

कहां बनाया जाएग नया विधानसभा भवन-

नया विधानभवन लखनऊ के दारुलशफा इलाके में बनाया जाएगा। नए भवन का शिलान्यास इस साल 25 दिसंबर को अटल जयंती पर किया जाएगा। भवन को 2027 तक बनकर तैयार करने की समय सीमा बताई जा रही है। यह तीन हजार करोड़ की लागत से बनाया जाएगा।