UP Politics: उत्तर प्रदेश में पूर्व सीएम बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक और उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया है, जिससे यह संकेत दिया गया है कि लाइफ टाइम पार्टी के मामलों को संभालती रहेंगी। वहीं मायावती के फैसले से पार्टी के फ्यूचर को लेकर भी संदेह पैदा गया है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया कि बसपा अध्यक्ष इस बात पर जोर देना चाहती थीं कि संगठन और बहुजन आंदोलन सर्वोच्च हैं और उनका परिवार भी इससे ऊपर नहीं है। इस मामले में सूत्रों ने बताया कि 2019 में आकाश को राष्ट्रीय समन्वयक बनाने और अपने भाई आनंद कुमार, आकाश के पिता को बसपा उपाध्यक्ष नियुक्त करने के बाद मायावती पर भाई-भतीजावाद के आरोप लगे।

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मायावती के फैसलों से कार्यकर्ता में था संदेह

मायावती के उन फैसलों के बाद पार्टी के भीतर और प्रतिद्वंद्वी दलों दोनों की ओर से आलोचना हुई थी। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि आखिरकार उन्हें इस कदम के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि पार्टी के पुराने नेताओं का एक वर्ग पार्टी में आकाश की बढ़ती भूमिका से सहज नहीं था, जिससे पार्टी में नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे।

बसपा प्रमुख ने रविवार को आनंद कुमार को नियुक्त किया और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को राष्ट्रीय समन्वयक के रूप में बहाल कर दिया। यह पद उन्होंने 2022 तक संभाला। बसपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, आनंद कुमार ज्यादातर दिल्ली में डेरा डालेंगे, और सभी कागजी कार्रवाई देखेंगे और कार्यकर्ताओं से मिलेंगे, जबकि गौतम पूरे भारत की यात्रा करेंगे और मायावती के निर्देशों को लागू करने के प्रभारी होंगे।

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उत्तराधिकारी को लेकर संशय

मायावती के उत्तराधिकारी का भविष्य अनिश्चित है क्योंकि पिछले दो सालों में उन्हें दूसरी बार बर्खास्त किया गया है। हालांकि पार्टी के एक नेता ने उम्मीद जताई कि वे फिर से उभरेंगे। उन्होंने कहा कि आकाश युवा हैं। हमें उम्मीद है कि वे फिर से उभरेंगे और पार्टी में महत्वपूर्ण पद प्राप्त करेंगे क्योंकि हमें युवाओं को आकर्षित करने के लिए एक युवा नेता की आवश्यकता है।

लगातार गिर रहा है बसपा का वोट का प्रतिशत

पार्टी पिछले कुछ सालों से लगातार गिरावट की ओर है और इसका वोट प्रतिशत धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। पार्टी पिछले साल लोकसभा चुनावों में अपना खाता खोलने में विफल रही, जबकि उसने पूरे भारत में 488 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें यूपी की 79 सीटें भी शामिल थीं, जो 2014 के प्रदर्शन की पुनरावृत्ति थी।

बीएसपी वोट शेयर राष्ट्रीय स्तर पर 2.04% और यूपी में 9.39% तक गिर गया। 2019 के लोकसभा चुनावों में बीएसपी ने एसपी और आरएलडी के साथ गठबंधन करके यूपी में 10 सीटें जीती थीं। यूपी में, जहां पार्टी का आधार है, बीएसपी ने 2022 के राज्य चुनावों में केवल एक विधानसभा सीट जीती। इसके अलावा, इसका वोट शेयर 2017 में 22.23% से घटकर 12.88% हो गया, जब इसने 19 सीटें जीती थीं।

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BSP में कुछ खास कमाल नहीं कर पाए आकाश आनंद

आकाश को 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद पार्टी में शामिल किया गया था, लेकिन वे पार्टी को पटरी पर लाने में विफल रहे। हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों में उन्हें प्रभारी बनाया गया था लेकिन वे कोई खास प्रभाव नहीं दिखा सके थे। पार्टी राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में भी ज्यादा प्रगति करने में विफल रही, जहां उन्होंने पार्टी के प्रयासों की देखरेख की।

पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान मायावती ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। यह तब हुआ जब पुलिस ने उन पर एक चुनावी रैली में भाषण देने के लिए मामला दर्ज किया जिसमें उन्होंने BJP पर निशाना साधा था। चुनाव के बाद उन्हें वापस लाया गया। जनवरी में उन्हें एक और पदोन्नति मिली क्योंकि उन्हें राज्य-विशिष्ट जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया और पार्टी के राष्ट्रीय नेता के रूप में संगठनात्मक और अभियान-संबंधी जिम्मेदारियां दी गईं।

क्या होगा BSP का फ्यूचर?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि पार्टी दलित युवाओं को अपने पक्ष में लाने के लिए किस तरह की रणनीति बनाएगी, जिनका एक बड़ा वर्ग पार्टी से नाराज होकर आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के चंद्रशेखर आजाद जैसे नेताओं की ओर आकर्षित हो गया है। आकाश के कद में कटौती के बाद, क्या मायावती खुद पार्टी के भीतर अधिक सक्रिय भूमिका निभाएंगी? पार्टी में सभी के मन में यही बड़ा सवाल है।

मायावती ने 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले आकाश को मीडिया में साक्षात्कार देने और राजस्थान में यात्रा आयोजित करने और मध्य प्रदेश (2023) और दिल्ली (2024) में मार्च करने की मंजूरी दी थी। उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम के प्रमुख रूप से वापस आने के बाद यह देखना होगा कि क्या वह सड़कों पर उतरेंगी, रैलियां और जनसभाएं संबोधित करेंगी? बीएसपी से संबंधित अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे।