प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर काफी भरोसा करते हैं। वह भारतीय जनता पार्टी में दूसरे नंबर के नेता माने जाते हैं। इस बीच, विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि किसी भी पार्टी को उठाकर देख लीजिए टॉप दो लोग होंगे। वह या तो परिवार के लोग होंगे या फिर बहुत ही गहरे दोस्त होंगे। उन्होंने कहा कि कहीं-कहीं पर परिवार का सिस्टम नहीं चल पाता है।
विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि पीएम मोदी को भी असुरक्षा भी है। अगर पार्टी का अध्यक्ष कोई ऐसा व्यक्ति बन गया जो उनके खिलाफ है तो उनकी सारी एनर्जी वहीं पर खत्म हो जाएगी। पीएम मोदी को पार्टी का अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति चाहिए जिस पर वह आंख बंद करके भरोसा कर सकें। पीएम मोदी इसके लिए अमित शाह पर आंख बंद करके आंख बंद करके भरोसा कर सकते हैं।
देश में दो ही वाद- विकास दिव्यकीर्ति
विकास दिव्यकीर्ति ने आगे कहा कि इस देश में दो ही वाद हैं। पहला है परिवारवाद और दूसरा है यारवाद। उसके बिना काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि अगर मैं ही प्रधानमंत्री हूं और मेरी पार्टी का अध्यक्ष मेरे खिलाफ है तो मैं काम नहीं कर सकता हूं। उन्होंने कहा कि बस यहीं अंतर है कि कहीं पर वंश के नाम पर चलेगा और कहीं पर दोस्ती के नाम पर चलेगा।
आखिर क्या है मोदी और शाह का रिश्ता?
बता दें कि पीएम मोदी और अमित शाह का रिश्ता करीब 35 साल पुराना है। प्रधानमंत्री अमित शाह से 1982 में संघ की शाखा में मिले। उस समय अमित शाह की उम्र महज 17 साल की थी और मोदी संघ के प्रचारक के तौर पर काम कर रहे थे। सर संघचालक बालासाहब देवड़ा ने जब मोदी से पहली बार बीजेपी में शामिल होने के लिए कहा था, तब शाह ही वो पहले व्यक्ति थे, जिससे मोदी ने अपने मन की बात को शेयर किया था। शाह ने भी मोदी को राजनीति की तरफ कदम बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। अमित शाह इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि मोदी के जरिए ही वो भी अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं को पूरा कर सकेंगे।
2014 में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत हुई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बनाया गया। पीएम बनने के बाद ही मोदी ने अपने सबसे भरोसेमंद अमित शाह को बीजेपी का अध्यक्ष बनाया। अमित शाह को अध्यक्ष पद देने के बाद कई सारे सवाल उठने लगे थे। शाह को चुनावी बिसात का बेताज बादशाह माना जाता है। मोदी जब गुजरात के सीएम थे तो उस समय भी अमित शाह के पास सबसे ज्यादा अहम पद थे।