आध्यात्मिक गुरु और Art of Living के श्री श्री रविशंकर ने कहा है कि धर्मगुरु सबके भी होते हैं और न किसी एक के होते हैं। उनकी यह टिप्पणी उस सवाल के जवाब में आई, जिसमें उनसे पूछा गया था कि ऐसा क्यों लगता है कि आप सत्ताधारियों के साथ हैं और उन्हीं की प्रशंसा करत रहते हैं?
दरअसल, यह वाकया हिंदी चैनल आज तक के बातचीत आधारित कार्यक्रम सीधी बात का है। शनिवार को प्रसारित एपिसोड में चावला ने रविशंकर से पूछा था, “पहले भी आप लोग सक्रिय थे। काम करते थे। अब ऐसा क्यों लगता है कि आप सत्ताधारी दल के साथ खड़े हैं और आप उन्हीं की प्रशंसा करते रहते हैं। एक इंप्रेशन आपके विरोधियों में है कि आप केवल सरकार के साथ हैं। उनके गुणगान गाते रहते हैं?”
श्री श्री का जवाब आया, राज आश्रय के बिना कोई भी चीज पूर्ण रूप से नहीं हो सकती है। मान लीजिए कि हम एक तालाब को साफ करना चाहते हैं, तब हमें स्थानीय अधिकारियों की जरूरत पड़ेगी। पर ऐसा नहीं है कि हम एक विशिष्ट पार्टी के साथ लगे हुए हैं। काम तो सब जगह हो रहा है। ओडिशा, महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक में हमारा काम चल रहा है।
बकौल रविशंकर, “हम सब का अपना-अपना काम है, पर उसके बीच में मर्यादा होती है, उसका पालन किया जाना चाहिए। यह जरूरी है। न्यूट्रल रहना चाहिए। अभी कोई पूछे कि प्रभु चावला किस पार्टी के हैं…आप क्या बोलेंगे? यही न कि पत्रकार हैं। न किसी के, न सबके। इसी तरह धर्मगुरु भी सबके होते हैं, न एक किसी के होते हैं।”
पत्रकार ने इसके बाद कहा, “आपने सही कहा…आपने मुझे कई नेताओं के साथ देखा होगा, पर श्री श्री रविशंकर या रामदेव को ममता बनर्जी या सोनिया गांधी के साथ नहीं देखा, पर नरेंद्र मोदी के साथ जरूर देखा।” हालांकि, रविशंकर ने नवीन पटनायक और पिनराई विजय के साथ काम करने का जिक्र किया और कहा कि हमें मालूम है कि कितनी दूरी रखनी है। पर चावला ने अंत में हंसते हुए टोका कि आपने नाम जरूर लिए, पर मैंने जो नाम लिए उनसे से कोई नहीं लिया।