Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लाल किले पर कब्जे की मांग करने वाली एक महिला की याचिका खारिज कर दी। इसमें उसने खुद को आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर द्वितीय के परपोते की विधवा होने का दावा किया था। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच ने कहा कि सुल्ताना बेगम की तरफ से दायर की गई याचिका पूरी तरह से गलत और निराधार है।
सीजेआई की बेंच ने कहा, ‘शुरू में दायर की गई रिट याचिका गलत और निराधार थी। इस पर विचार नहीं किया जा सकता।’ कोर्ट ने सुल्ताना बेगम के वकील को याचिका वापस लेने की इजाजत देने से भी इनकार कर दिया। उनके वकील ने तर्क दिया कि वह भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी के परिवार की सदस्य थीं। इस बात पर सीजेआई ने व्यग्य करते हुए कहा, ‘केवल लाल किला ही क्यों? फतेहपुर सीकरी क्यों नहीं? उन्हें भी क्यों छोड़ दिया गया? रिट पूरी तरह से गलत है। खारिज की जाती है।’
हाई कोर्ट ने कहा था बहुत देर हो चुकी
यह पहली बार नहीं है जब सुल्ताना बेगम की याचिका खारिज की गई है। दिसंबर 2023 में दिल्ली हाई कोर्ट की एक बेंच ने उनकी अपील को खारिज कर दिया, यह देखते हुए कि उन्होंने इसे दायर करने में ढाई साल से ज्यादा की देरी की थी। कोर्ट ने कहा कि इस देरी को माफ नहीं किया जा सकता। बेगम ने कहा था कि वह खराब स्वास्थ्य और अपनी बेटी की मृत्यु के कारण पहले कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटा सकीं।
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सुल्ताना बेगम का तर्क
सुल्ताना बेगम ने दावा किया कि 1857 के विद्रोह के दौरान अंग्रेजों द्वारा लाल किले पर कब्जा करने के बाद उनके परिवार ने लाल किले पर कब्जा खो दिया। उसके बाद, बादशाह बहादुर शाह जफर को निर्वासित कर दिया गया और किले पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का कब्जा हो गया । उन्होंने कहा कि उन्हें अपने पूर्वजों से लाल किला विरासत में मिला था और अब भारत सरकार ने इसे अवैध रूप से अपने कब्जे में रखा है। उन्होंने कोर्ट से कहा कि या तो लाल किला उन्हें वापस कर दिया जाए या उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए। भले ही आग बुझ गई हो, जहरीला धुआं अभी भी है