सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के सामने एक ऐसी याचिका आई जिसे देखकर वो खुद भी हैरत में रह गए। दरअसल लेबर लॉ एसोसिएशन ने एक रिट के जरिये सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि देश में कुल 22 सेंट्रल गवर्नमेंट इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल कम लेबर कोर्ट (CGIT-cum-LC,s हैं। लेकिन इनमें से 9 में कोई प्रिजाइडिंग अफसर ही नहीं है। 2023 के दौरान तीन और ट्रिब्यूनल्स में जगहें खाली होने वाली हैं।
लेबर लॉ एसोसिएशन का कहना था कि इन ट्रिब्यूनल्स का गठन कंपनियों और वहां काम करने वाले श्रमिकों से जुड़े मामलों का निपटारा करने के लिए किया गया था। इनमें श्रमिकों से जुड़े मामले काफी ज्यादा आते हैं। लेकिन जब वहां काम करने वाले लोग ही नहीं हैं तो किस तरह से ये मामलों का निपटारा कर सकेंगे।
कुछ अरसे में तीन और ट्रिब्यूनल्स में खाली हो जाएंगे पद
सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा व जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने अपील पर संज्ञान लेकर ये फैसला किया। एलएलए की ओर से पेश वकील ने कहा कि एक न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारियों में से एक का पद बुधवार को खाली होने वाला है।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि आप हमारे पास इतनी देर से क्यों आए हैं। अधिकारी पांच जुलाई को सेवानिवृत हो रहे हैं। याचिका को सोमवार के लिए सूचीबद्ध करें। अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल को भी याचिका की प्रति भेजें। सीजेआई की बेंच का कहना था कि हम किसी न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने का एकतरफा आदेश पारित नहीं कर सकते।
देश में कुल 22 इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल कम लेबर कोर्ट, 1974 में हुए थे स्थापित
सीजेआई ने कहा कि प्रशासनिक दृष्टि से न्यायाधिकरणों में पदों को भरने की प्रक्रिया की निगरानी के लिए उन्होंने शायद सुप्रीम कोर्ट के एक जस्टिस को नामित किया है। देश में 22 इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल कम लेबर कोर्ट हैं। इन्हें केंद्रीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले औद्योगिक विवादों के निपटारे के लिए वर्ष 1947 के औद्योगिक विवाद अधिनियम के प्रावधानों के तहत स्थापित किया गया था।