Justice Yashwant Verma News: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ाने वाली हैं, संसद में उनके खिलाफ मोशन लाने की तैयारी है, सरकार की कोशिश है कि सभी पार्टियों को एकजुट कर उनके खिलाफ सहमति बनाई जाए।
सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंचे जस्टिस वर्मा?
इस बीच जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, उनकी तरफ से मांग की गई है कि जांच कमेटी की जो रिपोर्ट सामने रखी गई है, उसे अमान्य घोषित कर दिया जाए। जस्टिस वर्मा का तर्क है कि जांच कमेटी ने एक बार भी ठीक तरीके से उन्हें अपना पक्ष रखने की अनुमति नहीं दी। एक निश्चित सोच के तहत काम किया गया और फिर निष्कर्ष भी निकाल दिया गया।
देश की संसद क्या करने वाली है?
जस्टिस वर्मा के मुताबिक जांच कमेटी ने उनसे उम्मीद की कि वे इस बात को साबित करें कि कैश आखिर उनका क्यों नहीं है। अब इस बीच देश की संसद जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन ले सकती है। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने खुद इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट या फिर हाई कोर्ट के किसी जज को अगर हटाने की बात है तो इसकी ताकत देश की संसद के पास है।
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक इस समय सभी पार्टियों से बात की जा रही है और उसके बाद ही कोई मोशन लाया जाएगा। रिजिजू के मुताबिक इस मामले में राजनीति नहीं हो सकती, सभी को साथ लेकर चलने की जरूरत है।
कैसे लाया जाता है मोशन ऑफ इंपीचमेंट?
अब जानकारी के लिए बता दें कि अगर लोकसभा में किसी के खिलाफ मोशन आफ इंपीचमेंट लेकर आना है तो उसके लिए कम से कम 100 सदस्यों को इसका समर्थन करना होगा। अब जब मोशन दे दिया जाता है, उसके बाद प्रिसाइडिंग ऑफिसर की यह ताकत रहती है कि वो उस मोशन को स्वीकार भी कर सकते हैं और उसे खारिज भी। लेकिन अगर इंपीचमेंट मोशन कुछ स्वीकार कर लिया जाता है तब स्पीकर या फिर अध्यक्ष को तीन सदस्यों की कमेटी बनानी होती है जो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया या फिर सुप्रीम कोर्ट के किसी जज की अगुवाई में बनती है। अगर वो कमेटी भी किसी को निर्दोष पाती है, उस स्थिति में कमेटी की रिपोर्ट को देश की संसद स्वीकार करती है और उस पर बहस होती है।
कौन हैं जस्टिस वर्मा?
जानकारी के लिए बता दें कि यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी, 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम ऑनर्स की डिग्री ली थी, इसके बाद रीवा विश्वविद्यालय से उन्होंने लॉ में ही अपना ग्रेजुएशन पूरा किया।
8 अगस्त, 1992 को वे एक एडवोकेट के रूप में नामांकित हुए थे, कहा जा सकता है कि कानून की दुनिया में उनका डेब्यू हुआ था। यशवंत वर्मा के करियर को अगर समझा जाए तो उन्होंने सबसे ज्यादा संवैधानिक, इंडस्ट्रियल विवाद, कॉर्पोरेट, टैक्सेशन, पर्यावरण जैसे केस लड़े हैं। लंबे समय तक वे इलाहाबाद हाई कोर्ट के विशेष वकील के रूप में भी काम कर चुके हैं।
जस्टिस वर्मा का कानूनी सफर
2012 से 2013 तक यशवंत ने यूपी के मुख्य स्थायी वकील के रूप में भी काम किया, फिर वे एक सीनियर एडवोकेट के रूम में नामित हो गए। उन्हें अगला बड़ा प्रमोशन 13 अक्टूबर 2014 को तब मिला जब वे एडिशनल जज बन गए। इसके बाद 1 फरवरी 2016 को उन्हें परमानेंट जज के रूप में काम करने का मौका मिला, उन्होंने शपथ ली। साल 2021 में उनका दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर हो गया। बतौर जज कई मामलों की सुनवाई यशवंत वर्मा कर चुके हैं, अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर भी उनकी एक अहम टिप्पणी रही है।