Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। पिछले दो हफ्तों में आम आदमी पार्टी के नेताओं ने चुनावों में कांग्रेस को अप्रासंगिक कहा है और आरोप लगाया है कि वह भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलीभगत से चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के अप्रासंगिक होने के पार्टी के सार्वजनिक दावों को साइड में रखते हुए शहर में लगभग 10 सीटें ऐसी हैं जहां पर आप कांग्रेस के चुनावी अभियान पर पैनी नजर बनाए हुए है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ओखला, चांदनी चौक और बादली समेत अन्य जगहों पर कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। ओखला से पूर्व कांग्रेस विधायक आसिफ अहमद खान की बेटी अरीबा खान आप के अमानतुल्ला खान के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं, वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता जेपी अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल आप के पुनर्दीप सिंह साहनी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, जो चांदनी चौक से मौजूदा विधायक परलाद सिंह साहनी के बेटे हैं। बादली से दिल्ली कांग्रेस प्रमुख देवेंद्र यादव आप के अजेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। अमानतुल्लाह खान और अजेश यादव निवर्तमान विधायक हैं।
आम आदमी पार्टी की सरकार के पापों का खामियाजा भुगत रहे श्रद्धालु
आप के लिए सबसे बड़ी टेंशन
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारे लिए चिंता यह नहीं है कि कांग्रेस सीट जीतेगी, बल्कि यह है कि इससे बीजेपी को अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी। बीजेपी करीब 27 साल से दिल्ली विधानसभा में सत्ता से बाहर है। उसके लिए यह एक अहम चुनाव है। कांगेस पार्टी के वोट शेयर में बढ़ोतरी से उन्हें ही मदद मिलेगी।
आम आदमी पार्टी के एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि देखिए 2017 के एमसीडी चुनावों में क्या हुआ। आप ने सिर्फ दो साल पहले ही 54 फीसदी के बड़े वोट शेयर के साथ विधानसभा चुनाव जीता था और कांग्रेस 10 फीसदी पर सिमट गई थी। लेकिन कांग्रेस ने एमसीडी चुनाव अच्छे से लड़ा। आप का वोट शेयर गिरकर 26 फीसदी पर आ गया, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर बढ़कर 21 फीसदी हो गया। बीजेपी सिर्फ 4 प्रतिशत अंक ही बढ़ी, लेकिन उसने उन चुनावों में जीत हासिल की।
आम आदमी पार्टी का सबसे मुश्किल चुनाव
अब तक का अपना सबसे मुश्किल चुनाव लड़ रही आप का मानना है कि अगर वह 70 में से 50 से ज्यादा सीटें जीत लेती है तो वह आरामदायक स्थिति में होगी। इससे कम सीटें मिलने पर शीर्ष नेतृत्व असहज हो जाएगा। पिछले एक साल में पार्टी को कई झटके लगे हैं। इनमें आबकारी नीति मामले में पार्टी नेताओं की गिरफ्तारी और पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत समेत चार विधायकों का पार्टी से चले जाना शामिल है। वहीं एक अन्य नेता ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने जो काम किया है। वह सिर्फ 2015 (70 में से 67 सीटें) और 2020 (70 में से 62 सीटें) में मिले प्रचंड बहुमत की वजह से ही संभव हो पाया है। सबसे अच्छी स्थिति तो 60 से ज्यादा सीटें मिलने की है, लेकिन पार्टी 50 सीटों से ही संतुष्ट हो जाएगी। क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के प्रचार की कमान संभालेंगी प्रियंका गांधी? पढ़ें पूरी खबर…