उत्तर प्रदेश में अगले साल विधनसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के भीतर कुछ असंतोष दिखाई दे रहा है। आदित्यनाथ के कामकाज से पार्टी के कई नेता असंतुष्ट हैं। ऐसे में इस महत्वपूर्ण चुनाव से पहले भाजपा ने विधान परिषद सदस्य (MLC) और पूर्व आईएएस अरविंद कुमार शर्मा को पार्टी की प्रदेश इकाई का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है।
1988 बैच के गुजरात काडर के IAS अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा ने छह महीने पहले ही वीआरएस लिया है। शर्मा पार्टी में शामिल होने से पहले कोई आम नौकरशाह नहीं थे। वे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद लोगों में से एक हैं। केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पीएम के भरोसेमंद अधिकारियों का एक कोर ग्रुप है। शर्मा उन्हीं में से एक हैं। अधिकारी ने कहा “यह निश्चित है कि शर्मा के किसी भी निर्देश पर पीएम की मंजूरी की मुहर होगी।
जब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। तब शर्मा ने मोदी की कई पसंदीदा परियोजनाओं को संचालित करने में मदद की थी और उनका आत्मविश्वास जीता था। मोदी के सीएमओ में विशेष कर्तव्य अधिकारी रह चुके सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हर्ष ब्रह्मभट्ट ने कहा “ऐसे किसी व्यक्ति को यह काम देना जो नौकरशाही के लिए बिल्कुल नया हो। इससे बेहतर मोदी ऐसे अधिकारी चाहते थे जिन पर वह भरोसा कर सकें।
ब्रह्मभट्ट ने बताया कि उन्होंने शर्मा, पी के मिश्रा और अनिल मुकीम के नामों का सुझाव दिया था। उद्योग विभाग में अपने अनुभव और जिले में अपने बेहतरीन काम के चलते 2011 में शर्मा पहली बार सामने आए। इसके चलते उन्हें वाइब्रेंट गुजरात समिट्स का अहम सदस्य बनाया गया। पूर्व नौकरशाह ने बताया कि वे मोदी के साथ निवेश लाने के लिए विदेश भी गए थे।
साल 2004 में अरविंद शर्मा ज्वाइंट सेक्रेटरी बना दिए गए। बाद में एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाकर गांधीनगर के मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिए गए। जहां-जहां नरेंद्र मोदी रहे, वहां-वहां अरविंद कुमार शर्मा मौजूद रहे। गुजरात से जुड़े हुए एक वरिष्ठ केंद्रीय अधिकारी जानकारी देते हैं कि साल 2006 का 11 महीनों का समय छोड़ दें तो पिछले 20 सालों में नरेंद्र मोदी और अरविंद कुमार शर्मा का साथ कभी नहीं छूटा है। इन 11 महीनों में अरविंद शर्मा फ़ॉरेन ट्रेनिंग के लिए ऑस्ट्रेलिया गए हुए थे।
एक नौकरशाह के अनुसार, मोदी के दिल्ली आने में भी शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका है। वाराणसी लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले मोदी ने शर्मा से सलाह-मशवरा किया था। शर्मा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मऊ के रहने वाले हैं। उनके पिता मऊ रोडवेज बस स्टेशन के वरिष्ठ प्रभारी के पद से सेवानिवृत्त हुए।
पीएमओ में शर्मा को इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रभार दिया गया था। मई 2020 में, जैसे ही कोविड ने अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया, शर्मा को सचिव, एमएसएमई नामित किया गया। हालांकि, छह महीने में, शर्मा ने वीआरएस ले लिया और भाजपा में शामिल हो गए। एक अधिकारी का कहना है, ‘जब शर्मा को यूपी से एमएलसी का टिकट दिया गया तो साफ हो गया कि मोदी चुनाव से पहले राज्य में अपना आदमी चाहते हैं।’
जब कोरोना की दूसरी लहर के चलते वाराणसी में हाहाकार मचा था। तब शर्मा को जिले का ‘कोविड प्रभारी’ बनाया गया था। शर्मा ने जिला और पुलिस अधिकारियों की बैठकें लीं, एक डीआरडीओ अस्पताल और एक टेली-परामर्श ऐप की स्थापना का निरीक्षण किया और कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को चालू किया।
वाराणसी के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, ”ऐसा नहीं है कि पहले चरण में यह केंद्र चालू नहीं था। लेकिन जब शर्मा यहां आए तो साफ था कि पीएम नाखुश हैं।” एक अन्य अधिकारी का कहना है कि पीएमओ ने ऑक्सीजन, महत्वपूर्ण दवाओं, उपकरणों के मुद्दों में मदद की। मई में, जब द इंडियन एक्सप्रेस ने वाराणसी का दौरा किया, तो कुछ पोस्टरों पर शर्मा की तस्वीर पीएम के बगल में थी।