BJP National President Election 2024: मीडिया और राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर जबरदस्त चर्चा है कि बीजेपी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा। इस मामले में तमाम नेताओं के नाम पर कयास लगाए जा रहे हैं। मौजूदा वक्त में बीजेपी संगठन में बूथ, जिला और मंडल अध्यक्षों के चुनाव चल रहे हैं और इसके बाद ही पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलेगा। माना जा रहा है कि फरवरी में पार्टी अपने नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर देगी।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ ही बीजेपी कई राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष भी बदलने जा रही है और इसे लेकर भी सूबों की सियासत में काफी चर्चाएं हैं।
2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की अगुवाई में ही एनडीए ने केंद्र में सरकार बनाई। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन उसकी उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा और वह अपने दम पर बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटें भी हासिल नहीं कर सकी लेकिन उस कड़वे अनुभव से उबरते हुए पार्टी ने हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में जीत का झंडा लहराया।
आरएसएस की राय लेता है बीजेपी नेतृत्व
जब भी बीजेपी में किसी बड़े पद पर नियुक्ति होती है या कोई बड़ा फैसला लेना होता है तो यह माना जाता है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जरूर राय लेता है। विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनावों में भी संघ बीजेपी का सहयोग करता रहा है। लेकिन बीते साल जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि पार्टी ‘सक्षम’ है तो बीजेपी और संघ के रिश्तों में खटास होने की बात सामने आई थी।
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद संघ की ओर से कई ऐसे बयान भी आए जिससे लगा कि संघ जेपी नड्डा के बयान से नाराज है। लेकिन अब यह कहा जा रहा है कि बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में आरएसएस की ‘इच्छा’ का पूरा सम्मान करेगी। महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ऐसी खबरें मीडिया में आई थी कि संघ ने बीजेपी का खुलकर साथ दिया है और इसलिए पार्टी की जीत में संघ की भी भूमिका है।
मोदी-शाह की पसंद होगी अहम
यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि बीजेपी का नया अध्यक्ष कौन होगा, यह तय करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की पसंद सबसे अहम होगी। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी ऐसे नेता को बीजेपी का अध्यक्ष चुन सकते हैं जिसने पार्टी संगठन में लंबे वक्त तक काम किया हो और उसे संघ का समर्थन भी हासिल हो।
2014 में नरेंद्र मोदी-अमित शाह के केंद्र में आने से पहले यह बात आम थी कि बीजेपी हर बड़ा फैसला लेने से पहले आरएसएस की राय जरूर लेती थी। 2020 में जब जेपी नड्डा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया तो उन्हें भी आरएसएस का समर्थन मिला था।
ओबीसी-सवर्ण का सियासी समीकरण
मौजूदा वक्त में एनडीए सरकार और बीजेपी संगठन के लिहाज से देखें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओबीसी वर्ग से आते हैं जबकि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ब्राह्मण (सवर्ण) समुदाय से हैं। इन दिनों संविधान निर्माता डॉक्टर बीआर आंबेडकर को लेकर देश भर में जबरदस्त सियासत हो रही है। इसलिए इस तरह की अटकलें भी हैं कि पार्टी किसी दलित नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकती है। देश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की कमान दलित समुदाय से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे के पास है।
कांग्रेस लगातार बीजेपी को दलित विरोधी ठहराने की कोशिश करती है। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के तमाम दलों ने संविधान और आरक्षण खतरे में है और बीजेपी को दलित विरोधी बताने का प्रचार किया था। चुनाव के नतीजों को देखें तो पता चलता है कि इस प्रचार का उन्हें फायदा भी मिला था।
हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की ओर से डॉ. आंबेडकर को लेकर दिए गए बयान को भी कांग्रेस ने देशभर में मुद्दा बना दिया है। ऐसे में बीजेपी विपक्षी दलों को जवाब देने के लिए किसी दलित नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर बैठा सकती है।
दलित नेताओं के नाम पर चर्चा
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, संगठन में मजबूत आधार रखने और आरएसएस के समर्थन वाले दलित नेताओं के मामले में पार्टी के पास विकल्प ज्यादा नहीं हैं। ऐसे नेताओं में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बेबी रानी मौर्य का नाम शामिल है। बीजेपी के नेताओं का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन का फैसला लोगों के लिए हैरानी भरा भी हो सकता है क्योंकि बीजेपी कई मौकों पर अपने फैसलों से राजनीतिक विश्लेषकों को हैरान कर चुकी है। लेकिन पार्टी किसी ऐसे नेता को अध्यक्ष बनाने पर ज्यादा जोर देगी जो पार्टी नेतृत्व के विचारों और कार्यक्रमों को जनता के बीच बेहतर ढंग से पहुंचा सके।
युवा नेता को कमान देगी पार्टी?
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में पार्टी उम्र का भी खास ख्याल रखेगी क्योंकि विपक्षी दलों की ओर से कई युवा चेहरे सामने आए हैं। जैसे- कांग्रेस में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव, तृणमूल कांग्रेस में अभिषेक बनर्जी और राष्ट्रीय जनता दल में तेजस्वी यादव। ऐसे में पार्टी किसी युवा चेहरे पर भी दांव लगा सकती है।
इसके अलावा मीडिया से लेकर सियासी गलियारों में राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम के लिए जिन नामों की चर्चा जोर-शोर से चल रही है उनमें- केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान और महासचिव विनोद तावडे का नाम शामिल है। हालांकि मीडिया में चल रही इन तमाम चर्चाओं में कितना दम है, इसका पता फरवरी महीने में ही चलेगा।