Uttar Pradesh BJP New Chief: उत्तर प्रदेश में बीजेपी जल्द ही अपने नए अध्यक्ष का ऐलान करने जा रही है। पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कार्यकाल इस साल की शुरुआत में खत्म हो गया था। बताना होगा कि पिछले कुछ दिनों में पार्टी ने मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, तेलंगाना सहित कई राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों का ऐलान किया है और अब इसमें राजनीतिक लिहाज से बेहद अहम उत्तर प्रदेश की बारी है।

उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा के चुनाव होने हैं और इस लिहाज से पार्टी तमाम जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही अगले अध्यक्ष का चुनाव करेगी। इसके बाद पार्टी को अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी चुनाव करना है।

लोकसभा चुनाव में हुआ था बीजेपी को नुकसान

उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव में बहुत बड़ा दंगल लड़ा जाना है। अखिलेश यादव पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक PDA समीकरण के जरिए सियासी मैदान में ताल ठोक चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बीजेपी के लिए बेहद खराब रहे थे और पार्टी 2019 के चुनाव में मिली 62 सीटों के मुकाबले सिर्फ 33 सीटों पर आकर सिमट गई थी।

2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही पार्टी बेहद सतर्क है और अब उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के अध्यक्ष पद के चयन में वह किसी तरह की जल्दबाजी नहीं करना चाहती। इसके लिए पार्टी जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को पूरी तरह परख रही है।

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चूंकि मुख्यमंत्री पद पर योगी आदित्यनाथ हैं इसलिए इस बात की संभावना बहुत कम है कि प्रदेश अध्यक्ष के पद पर किसी सामान्य वर्ग के नेता को मौका मिलेगा इसलिए पार्टी दलित और ओबीसी चेहरों की ओर देख रही है। आईए देखते हैं कि इनमें से किन नामों की चर्चा सबसे ज्यादा है।

प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए जिन प्रमुख नेताओं के नाम चर्चा में हैं उनमें विनोद सोनकर, विद्या सागर सोनकर और राम शंकर कठेरिया का नाम शामिल है, तीनों ही अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं। ओबीसी वर्ग से आने वाले नेताओं में स्वतंत्र देव सिंह, अमरपाल मौर्य, बाबू राम निषाद, धर्मपाल सिंह, केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा और साध्वी निरंजन ज्योति के नाम पर भी चर्चा चल रही है।

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स्वतंत्र देव सिंह हैं दौड़ में आगे

बीजेपी के एक सीनियर नेता ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि अगर पार्टी किसी ओबीसी नेता को प्राथमिकता देती है तो स्वतंत्र देव सिंह इस पद के लिए सबसे आगे हैं। स्वतंत्र देव सिंह पहले भी प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और अभी योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। माना जाता है कि स्वतंत्र देव सिंह के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अच्छे संबंध हैं और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का चयन करते हुए योगी आदित्यनाथ की पसंद को भी ध्यान में रखेगी।

2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की वजह ओबीसी और दलित वोटों का समाजवादी पार्टी के पीडीए फार्मूले की ओर झुकाव होना बताया गया था। पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश बीजेपी के लिए राजनीतिक लिहाज से बेहद अहम रहा है। बीजेपी 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में और 2017 और 2022 के विधानसभा के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रही है लेकिन 2024 में उसे यहां झटका लगा।

बीजेपी ने सरकार और संगठन में भी दलित जातियों में गैर जाटव जातियों, ओबीसी में गैर यादव ओबीसी नेताओं को उनकी आबादी के लिहाज से भरपूर जगह देने की कोशिश की है। देखना होगा कि पार्टी उत्तर प्रदेश में किस नेता को बीजेपी संगठन की कमान सौंपती है।

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