Who Is Justice Surya Kant: सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत को अहम पद सौंपा है। जस्टिस सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति का अध्यक्ष (Supreme Court Legal Services Committee) नामित किया है। इसकी सूचना देने वाली अधिसूचना 12 नवंबर का जारी की गई।

जस्टिस सूर्यकांत को भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 3ए द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए इस पद पर नामित किया गया था।

विधिक सेवा प्राधिकरणों का कार्य समाज के कमजोर और हाशिए पर पड़े वर्गों को कानूनी सहायता प्रदान करना है। इससे पहले यह पद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.आर. गवई के पास था। जस्टिस गवई को हाल ही में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया ।

जस्टिस सूर्यकांत कौन हैं ?

जस्टिस सूर्यकांत कौन हैं ?

जस्टिस सूर्यकांत 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। इससे पहले वो हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। वे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के भी जज रहे हैं। जस्टिस सूर्यकांत को अक्टूबर, 2018 में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया था। वे इस पद पर 5 अक्टूबर, 2018 से 23 मई, 2019 तक रहे। उससे पहले 9 जनवरी, 2004 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का जज बनाया गया था।

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जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणआ के हिसार में हुआ था। रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से लॉ में बैचलर्स की डिग्री 1984 में लेने के बाद उन्होंने हिसार के जिला अदालत में कानून की प्रैक्टिस शुरू की थी। 1985 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए चंडीगढ़ आए। 7 जुलाई, 2000 को वे हरियाणा के महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) नियुक्त होने वाले सबसे कम उम्र के वकील बने थे। मार्च, 2001 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता (सीनियर एडवोकेट) बनाया गया था। जस्टिस सूर्यकांत को संविधान, सेवा संबंधी मामले और सिविल मामलों में माहिर बताया जाता है।

जस्टिस सूर्यकांत के बड़े फैसले

जस्टिस सूर्यकांत के बड़े फैसले

सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस सूर्यकांत अनुच्छेद 370, सीएए और पेगासस सहित कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं। वे उस बेंच का भी हिस्सा थे, जिसने पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान हुई खामियों की सुनवाई की थी और जांच के लिए एक समिति का गठन किया था। अपने एक फैसले में, जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था कि अपनी सुरक्षा के लिए लाइसेंस प्राप्त बंदूकों का इस्तेमाल किसी जश्न की फायरिंग में नहीं होना चाहिए। इस पर रोक लगाने की बात कहते हुए उन्होंने कहा था कि अपनी सुरक्षा या फसलों और मवेशियों की सुरक्षा के लिए लाइसेंस प्राप्त बंदूक को उत्सव के आयोजनों में नहीं चलाया जा सकता है, ये जानलेवा दुर्घटनाओं का एक संभावित कारण बनता है। कोरोना महामारी के दौरान जस्टिस सूर्यकांत जेल में बंद कैदियों के बचाव में आए थे और उनकी रिहाई का आदेश दिया था ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके।