राष्ट्रपति ने केरल भाजपा नेता सी सदानंदन मास्टर को राज्यसभा के लिए नाॅमिनेट किया है। सदानंदन मास्टर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं। वह तीन दशक पहले उत्तरी केरल के कन्नूर जिले में हुई राजनीतिक हिंसा के पीड़ित हैं। सदानंदन मास्टर एक रिटायर्ड टीचर हैं, जिन्हें पिछले हफ्ते केरल भाजपा का राज्य उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सदानंदन मास्टर की बेटी अपने पिता के राज्यसभा के लिए नॉमिनेट होने के बाद पहली बार घर आती है। वह अपने पिता से मिलती है।

सोशल मीडिया पर भावुक करने वाला वीडियो

यह दृश्य काफी भावुक करने वाला है। सदानंदन मास्टर अपनी बेटी को गले लगा लेते हैं और उसके बाद केक काटते हैं। इस दौरान उनकी बेटी अपने पिता को केक खिलाती है। सोशल मीडिया पर लोग इस वीडियो को खूब पसंद कर रहे हैं।

कम्युनिस्ट समर्थकों के परिवार से आते हैं मास्टर

सदानंदन मास्टर कन्नूर में मट्टनूर के पास पेरिंचरी गांव के रहने वाले हैं। उनका गांव कभी सीपीआई (एम) का गढ़ था। कम्युनिस्ट समर्थकों के परिवार से होने के बावजूद वह आरएसएस में शामिल हो गए और इसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के माध्यम से संघ में शामिल हुए। 1984 में वे आरएसएस में शामिल हो गए और कुछ समय तक एर्नाकुलम में आरएसएस के बौद्धिक प्रमुख के रूप में कार्य किया।

राज्यपालों की नियुक्ति, 4 राज्यसभा सांसद और नए बीजेपी अध्यक्ष के बाद पीएम मोदी करेंगे ये बड़ा बदलाव!

संघ में शामिल होने के सदानंदन मास्टर के फैसले ने कथित तौर पर स्थानीय सीपीआईएम को भड़का दिया और उन्हें निशाने पर ले लिया। 25 जनवरी 1994 को रात लगभग 8.30 बजे, जब सदानंदन मास्टर मट्टनूर के पास उरुवाचल में एक बस से उतरकर अपने घर की ओर जा रहे थे, तभी एक गिरोह ने उन पर हमला कर दिया। उस समय वे कन्नूर जिले में आरएसएस के सहकार्यवाह के रूप में कार्यरत थे।

वामपंथियों ने काट दिए थे दोनों पैर

उस घटना को याद करते हुए सदानंदन ने बाद में कहा, “एक गिरोह ने अचानक बम फेंकना शुरू कर दिया, जिससे लोगों में दहशत फैल गई और लोग भागने लगे और अपनी दुकानें बंद कर दीं। गिरोह पीछे से मेरे पास आया और मुझे पकड़ लिया। उन्होंने मुझे सड़क पर लिटा दिया, फिर मेरे दोनों पैरों को घुटनों के नीचे से काटकर फेंक दिया। जब तक पुलिस नहीं आई और मुझे अस्पताल नहीं ले गई, तब तक किसी ने मेरी मदद करने की हिम्मत नहीं की।”

अस्पताल में कुछ महीने बिताने के बाद सदानंदन (जिनके दोनों पैरों में आर्टिफीसियल पैर लगे थे) अपने स्कूल लौट आए, जो पर्याप्त छात्रों की कमी से जूझ रहा था। इसके बाद भाजपा ने उनके पुनर्वास का बीड़ा उठाया और उन्हें भाजपा के मुखपत्र जन्मभूमि में सब एडिटर नियुक्त किया गया। 1999 में सदानंदन त्रिशूर में संघ द्वारा संचालित एक स्कूल में शिक्षक के रूप में शामिल हो गए।

विधानसभा का लड़ चुके हैं चुनाव

हमले के बाद भी सदानंदन संघ परिवार में सक्रिय रहे। 2016 के विधानसभा चुनावों में जब भाजपा ने ‘CPIM-sponsored’ हिंसा को एक प्रमुख मुद्दा बनाया, तो उसने सदानंदन को कुथुपरम्बा विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया। यहां 1990 के दशक में कन्नूर में कुछ क्रूर राजनीतिक हत्याएं हुई थीं। वह CPI(M) की के के शैलजा और जेडीयू उम्मीदवार के पी मोहनन के बाद तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 20,000 से अधिक वोट मिले। सदानंदन 2020 में त्रिशूर के पेरमंगलम के एक स्कूल से शिक्षक के रूप में रिटायर हुए। वह हाल आरएसएस की बौद्धिक शाखा भारतीय विचार केंद्रम के साथ सक्रिय रहे हैं और मीडिया में कॉलम लिखते हैं।

सदानंदन की राज्यसभा में नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भाजपा केरल में नए सिरे से ज़ोर लगाने की कोशिश कर रही है और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रही है। पिछले साल पार्टी ने पहली बार केरल में एक लोकसभा सीट जीती थी। सुरेश गोपी ने त्रिशूर सीट जीती थी। पार्टी ने पूर्व सांसद राजीव चंद्रशेखर को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। पार्टी का लक्ष्य आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करना होगा, जबकि इसका अगला लक्ष्य हिंदू और ईसाई वोटों को एकजुट करके महत्वाकांक्षी, शिक्षित युवाओं तक पहुंच बनाकर केरल में एक वैकल्पिक ताकत के रूप में उभरना है।