Who is Nimisha Priya: यमनी नागरिक अब्दो महदी की हत्या के केस में यमन की सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय मूल की मलयाली नर्स निमिषा प्रिया की याचिका खारिज कर दी। यमन की सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई है। एक साल जेल में रहने के बाद निचली अदालत ने साल 2018 में मिमिषा को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे निमिषा के परिवार ने यमन के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट उनकी याचिता को खारिज कर दिया।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ऑफ यमन ने निमिषा की मौत की सजा बरकरार रखी है। हाई कोर्ट में निमिषा की मां ने याचिका दाखिल कर यमन जाने की अनुमति मांगी थी। भारत सरकार ने कहा कि अब अंतिम फैसला इस मामले में यमन के राष्ट्रपति को सुनाना है।
कोर्ट निमिषा प्रिया की मां द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ब्लड मनी का भुगतान करके पीड़ित परिवार के साथ बातचीत करने के लिए यमन की यात्रा करने की अनुमति मांगी गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने निमिषा की मां की यमन यात्रा के अनुरोध पर केंद्र से एक सप्ताह के भीतर फैसला लेने के लिए कहा है।
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं, जो साल 2014 या शायद उससे भी पहले अपने पति के साथ यमन चली गई थीं। हालांकि, फाइनेंशियल क्राइसिस के चलते उनके पति और बच्चे वापस लौट आए, लेकिन निमिषा वहीं रहीं। यमन में रहकर उन्होंने अपना क्लीनिक खोल लिया। इस क्लीनिक को खोलने के लिए ही उन्होंने तलाल अब्दो महदी से कॉन्टेक्ट किया और क्लीनिक खोलने के लिए मदद मांगी थी।
- निमिषा प्रिया को तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी ठहराया गया है, जिनकी जुलाई 2017 में उसके कब्जे से अपना पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए उसे नशीला (Sedatives) इंजेक्शन देने के बाद मृत्यु हो गई थी।
- ऐसा कहा गया कि निमिषा प्रिया ने तलाल अब्दो महदी को बेहोशी की दवा का इंजेक्शन लगाया, ताकि वह बेहोश होने पर उससे अपना पासपोर्ट ले सके। हालांकि, ओवरडोज के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
- प्रिया की मां ने इस साल की शुरुआत में दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया और भारतीय नागरिकों के लिए यात्रा प्रतिबंध के बावजूद यमन की यात्रा करने की अनुमति मांगी और अपनी बेटी को बचाने के लिए “ब्लड मनी” पर बातचीत की। ब्लड मनी से तात्पर्य किसी अपराधी या उसके परिजनों द्वारा पीड़ित के परिवार को दिए जाने वाले मुआवजे से है।
- कथित तौर पर प्रिया और उसकी सहकर्मी हनान, जो कि एक यमिनी नागरिक हैं, उन्होंने महादी के शव को पानी की टंकी में फेंकने से पहले काटा। प्रिया को 2018 में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। हनान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
- आठ साल के बच्चे की मां प्रिया 2011 से यमन के सना में काम करती थी।
- गुरुवार को भारत सरकार के वकील ने कहा कि हाल ही में जारी एक अधिसूचना के अनुसार, यात्रा प्रतिबंध में ढील दी जा सकती है और भारतीय नागरिकों को विशिष्ट कारणों और अवधि के लिए यमन की यात्रा करने की अनुमति दी जा सकती है।
- वकील सुभाष चंद्रन केआर द्वारा प्रस्तुत याचिकाकर्ता ने पहले कोर्ट को बताया था कि उनकी बेटी को फांसी से बचाने का एकमात्र तरीका मृतक के परिवार के साथ ब्लड मनी का भुगतान करके बातचीत करना था और जिसके लिए उसे यमन की यात्रा करनी पड़ी, लेकिन यात्रा प्रतिबंध के कारण वह वहां जाने में असमर्थ है।
- “सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल” ने पिछले साल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें केंद्र को “राजनयिक हस्तक्षेप के साथ-साथ निमिषा प्रिया की ओर से पीड़ित परिवार के साथ बातचीत की सुविधा प्रदान करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई, ताकि ब्लड मनी का भुगतान करके उसकी जान बचाई जा सके।
- हाई कोर्ट ने पहले केंद्र को महिला को बचाने के लिए ब्लड मनी के भुगतान पर बातचीत करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था, लेकिन यमन में सजा के खिलाफ कानूनी उपाय अपनाने को कहा था।
- पहले की याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि महदी ने यह दिखाने के लिए जाली दस्तावेज़ बनाए थे कि उसने प्रिया से शादी की थी और उसके साथ दुर्व्यवहार किया और प्रताड़ित किया।