लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए अयोध्या (फैजाबाद लोकसभा) की हार अभी भी सिर दर्द बनी हुई है। अब यूपी सरकार के दो मंत्रियों के सामने हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास और अयोध्या डीएम नीतीश कुमार के बीच नौकझोंक का मामला तूल पकड़ रहा है। मामला सामने आने के बाद  महंत राजू दास को मिली हुई सुरक्षा भी वापस ले ली गई है। हनुमान गढ़ी मंदिर के मुख्य पुजारी महंत राजू दास अक्सर धार्मिक मामलों और राजनीतिक घटनाओं पर अपने बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं।

सीएम योगी से महंत राजू दास ने की मुलाकात

हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास यूपी कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही और जयवीर सिंह द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक में पहुंचे थे और भाजपा की हार के लिए जिला प्रशासन की हालिया कार्रवाइयों को जिम्मेदार ठहरा रहे थे, जहां उनकी बहस डीएम से हो गई। महंत दास ने कहा कि उन्होंने शनिवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस विवाद पर चर्चा की है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “मैंने सीएम से मुलाकात की और उन्हें शुक्रवार को हुई घटना के बारे में जानकारी दी। मुझे योगी आदित्यनाथ और उनके न्याय पर पूरा भरोसा है।”

अक्सर विवादों में घिरे रहने के सवाल पर महंत दास ने कहा, “मैं सिर्फ़ बयान नहीं देता, बल्कि उसका मतलब भी निकालता हूं। मैं सनातन धर्म और हिंदू धर्म का योद्धा हूं और इसकी रक्षा की जिम्मेदारी भी मुझ पर है। अगर कोई हमारे धर्म पर हमला करेगा तो मैं चुप नहीं रहूंगा और उसका जवाब जरूर दूंगा।” 

क्यों वापस ली गई सुरक्षा?

पुजारी के पुलिस गनर को हटाते समय मजिस्ट्रेट ने उनके खिलाफ दर्ज तीन आपराधिक मामलों को कारण बताया। उन्होंने शनिवार को इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पुजारी के तीन पुलिस गनर वापस लेने की प्रक्रिया तब से शुरू हो गई थी जब उन्हें पता चला कि उनके खिलाफ तीन आपराधिक मामले दर्ज हैं। दो गनर वापस ले लिए गए थे और अब तीसरा भी वापस ले लिया गया है।

जवाब में महंत दास ने कहा, “मेरे खिलाफ 2013 और 2017 में दर्ज पहले दो मामले धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन, धरना और पुतले जलाने से संबंधित हैं। 2023 में दर्ज मामला हनुमान गढ़ी के ही एक साधु की शिकायत पर आधारित था, जिसने अनजाने में मेरा नाम दे दिया था, क्योंकि वह किसी दूसरे साधु का नाम लेना चाहता था। यह बात बाद में स्पष्ट हुई।”