Chinnaswamy Stadium Stampede: चिन्नास्वामी स्टेडियम में भगदड़ की जांच कर्नाटक हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस जॉन माइकल कुन्हा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग करेगा। इसको लेकर सरकार ने एक आयोग का गठन किया है। बता दें, 4 जून को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में भगदड़ हो गई थी, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग घायल हुए थे।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद इसकी जानकारी मीडिया को दी।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, एसडीएम लॉ कॉलेज से स्नातक जस्टिस जॉन माइकल डी’कुन्हा ने 1985 में अपनी वकालत शुरू की। उसके बाद वे कर्नाटक हाई कोर्ट में वकालत करने के लिए बेंगलुरु चले गए। साल 2002 में उन्होंने बेंच में अपना करियर शुरू किया और बेल्लारी, धारवाड़, हुबली और बेंगलुरु जिलों की अदालतों में काम किया।

माइकल बाद में न्यायपालिका में शामिल हो गए। माइकल 2014 में तब चर्चा में आए जब सांसदों के खिलाफ मामलों की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश के रूप में उन्होंने तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराया था।

नवंबर 2016 में माइकल को हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और नवंबर 2018 में स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। साल 2021 वो रिटायर हो गए।

बता दें, 4 जून को चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भगदड़ मचने से 11 लोगों की मौत हो गई और 56 लोग घायल हो गए, जहां इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) जीतने के बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) क्रिकेट टीम का स्वागत करने के लिए बड़ी भीड़ एकत्र हुई थी।

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आरसीबी की 18 वर्षों में पहली जीत के उपलक्ष्य में बेंगलुरू में जश्न की योजना बनाई गई थी और टीम को प्रशंसकों से मिलने के लिए स्टेडियम में पहुंचना था।

बताया जाता है कि स्टेडियम में प्रवेश के लिए पहले शुल्क लिया गया था। लेकिन, बाद में जब कथित तौर पर घोषणा की गई कि नि:शुल्क प्रवेश की अनुमति होगी, तो स्टेडियम के गेट पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे भगदड़ मच गई और कई लोगों की जान चली गई।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी गुरुवार को इस घटना पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से मामले की स्थिति रिपोर्ट मांगी है। इस मामले की अगली सुनवाई 10 जून, मंगलवार को होगी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हरियाणा के मुख्य सचिव को कड़ी फटकार लगाई। पढ़ें…पूरी खबर।