1984 Sikh Riots: साल 1970 के दशक की शुरुआत में पूर्व पीएम राजीव गांधी दिल्ली फ्लाइंग क्लब में जहाज उड़ाने की ट्रेनिंग लेने जाते थे। एक दिन उनके टू-व्हीलर में कुछ खराबी आई तो एक शख्स ने कथित तौर पर उनकी मदद की थी और ये कोई और नहीं, बल्कि जगदीश टाइटलर थे। ये जगदीश टाइटलर आगे जाकर कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता और गांधी परिवार के करीबी के तौर पर जाने गए थे लेकिन अब उनकी मुश्किलें दिल्ली की एक निचली अदालत ने 1984 में हुए दिल्ली के सिख विरोधी दंगों के मामले में एक आदेश देकर बढ़ा दी है।
दरअसल, शुक्रवार को दिल्ली राउज़ एवेन्यू अदालत ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली में पुल बंगश गुरुद्वारा के पास सिखों की हत्या के लिए भीड़ को उकसाने के आरोप में टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिगक टाइटलर पर हत्या, दंगा भड़काने, विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और गैरकानूनी ढंग से इकट्ठा करने से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत आरोप लगे हैं।
जगदीश टाइटलर के लिए क्यों अहम है ये आदेश?
1984 के दंगों से जुड़े मामले में यह डेवेलपमेंट अहम इसलिए भी है क्योंकि यह पहली बार है कि टाइटलर, हत्या के आरोपों का सामना कर रहे हैं। टाइटलर का नाम कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार के साथ 1984 के दंगों के अधिकांश गवाहों ने कई जांच आयोगों के समक्ष मुख्य साजिशकर्ता के रूप में शामिल किया गया है। सज्जन कुमार को दोषी ठहराया गया है और वर्तमान में वह इस मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।
80 साल के जगदीश टाइटलर टाइटलर का जन्म गुजरांवाला में हुआ था, जो कि वर्तमान में (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। उनके पिता हिंदू और मां सिख थीं। उनके पिता की मृत्यु तब हुई जब वे अभी छोटे थे और उनकी मां को विभाजन की तबाही के बीच दिल्ली आई थीं। दिल्ली आने के बाद वे अपनी मां से अलग हो गए और बाद में उन्हें अपने समय के प्रसिद्ध शिक्षाविद् जेम्स डगलस टाइटलर ने गोद ले लिया, जिन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल और जेडी टाइटलर स्कूल की स्थापना की।
इंदिरा सरकार में बने थे कैबिनेट मंत्री
राजीव गांधी के साथ टाइटलर की मित्रता ने उन्हें संजय गांधी के करब ला दिया था। इनका कांग्रेस और उनकी मां इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार में काफी राजनीतिक प्रभाव था। संजय ने टाइटलर को दिल्ली युवा कांग्रेस का प्रमुख नियुक्त किया और 1980 में उन्हें दिल्ली से लोकसभा का टिकट भी दिलाया। टाइटलर ने तत्कालीन दिल्ली बीजेपी नेता कंवर लाल गुप्ता को हराया था।
1984 दंगों के बावजूद बरकरार था दबदबा
1980 में संजय की मृत्यु के बाद, राजीव के साथ टाइटलर की मित्रता ने के चलते उन्हें तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार में कैबिनेट में जगह मिली थी। उन्हें नागरिक उड्डयन विभाग दिया गया था। 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद भी, कांग्रेस ने टाइटलर को पुरस्कृत करना जारी रखा, जो दिल्ली सदर सीट पर पार्टी के लिए एक अपरिहार्य चुनावी दांव साबित हुए।
उन्होंने 1984, 1991 और 2004 के लोकसभा चुनावों में मदन लाल खुराना, विजय कुमार मल्होत्रा और विजय गोयल जैसे भाजपा नेताओं को हराया। टाइटलर ने राजीव गांधी सरकार (1984-89) में नागरिक उड्डयन मंत्रालय अपने पास रखा तथा पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार (1991-96) में सड़क परिवहन और कोयला मंत्रालय का कार्यभार संभाला था।
2009 के लोकसभा चुनाव से वापस खींचे थे हाथ
2004 में जब मनमोहन सिंह सरकार सत्ता में आई तो वे विदेश राज्य मंत्री बने। हालांकि, नानावटी आयोग की रिपोर्ट में 1984 के दंगों के लिए उन्हें दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें कार्यभार संभालने के एक साल के भीतर ही सरकार से इस्तीफा देना पड़ा। मंत्री के तौर पर यह उनका आखिरी कार्यकाल रहा था।
2009 के लोकसभा चुनावों में, टाइटलर को फिर से कांग्रेस ने दिल्ली में उतारा। हालांकि, पत्रकार जरनैल सिंह द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम पर जूता फेंकने की घटना के बाद सार्वजनिक आक्रोश फैल गया। इसके बाद टाइटलर ने अपना नामांकन वापस ले लिया, साथ ही सज्जन कुमार ने भी चुनाव न लड़ने का फैसला किया।