Himachal Pradesh High Court: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक (DGP) को नोटिस जारी कर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर जवाब मांगा है। जिसमें 2018 बैच की आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज को बद्दी के पुलिस अधीक्षक के रूप में बहाल करने की मांग की गई है। जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस राकेश कैंथला की खंडपीठ ने शुक्रवार को नोटिस जारी कर गृह सचिव और डीजीपी को 4 जनवरी, 2025 तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

बद्दी एसपी के पद पर तैनात अफरोज , दून के कांग्रेस विधायक राम कुमार चौधरी के साथ मतभेद की खबरों के बीच 7 नवंबर से 15 दिन की छुट्टी पर चली गईं। इसके बाद, 14 नवंबर को एसपी बद्दी का प्रभार हिमाचल प्रदेश पुलिस सेवा (एचपीपीएस) के अधिकारी विनोद कुमार धीमान को सौंप दिया गया। 17 दिसंबर को शिमला स्थित पुलिस मुख्यालय में ड्यूटी पर लौटने के बाद अफरोज को अभी तक नई पोस्टिंग नहीं मिली है ।

नालागढ़ के ढोलोवाल गांव के 36 वर्षीय कृषक सुच्चा राम द्वारा दायर जनहित याचिका में दावा किया गया है कि अफरोज पर छुट्टी लेने का दबाव बनाया गया और उनके तबादले के बाद इलाके में कानून-व्यवस्था बिगड़ गई। याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि अपने कार्यकाल के दौरान अफरोज ने बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ विकास (बीबीएनडी) क्षेत्र में अवैध खनन, नशीली दवाओं के खतरे और अन्य संगठित अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की।

22 दिसंबर को अधिवक्ता आरएल चौधरी के माध्यम से दायर याचिका में सुच्चा राम ने दावा किया कि अफरोज की पोस्टिंग से पहले इलाके में खनन माफियाओं की अवैध गतिविधियां बेरोकटोक फलती-फूलती थीं। याचिका में आगे आरोप लगाया गया है कि पंजाब और हरियाणा के पास सोलन जिले की सीमा पर स्थानीय राजनेताओं, विधायकों और अन्य लोगों द्वारा संचालित 43 खनन क्रशर इकाइयाँ हैं। कथित तौर पर इलाके की पुलिस ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और हाईकोर्ट के निर्देशों की अनदेखी करते हुए इन माफियाओं के साथ मिलीभगत की। चौधरी ने दलील दी कि कोर्ट ने गृह सचिव और डीजीपी को 4 जनवरी, 2025 तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

याचिका में 9 सितंबर का हाई कोर्ट का आदेश भी शामिल है, जिसमें निर्देश दिया गया था कि एसपी बद्दी को कोर्ट की अनुमति के बिना स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए। याचिका में यह भी कहा गया है कि स्थानीय निवासियों ने 26 नवंबर को मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन दिया था, जिसमें अफरोज को एसपी बद्दी के पद पर बहाल करने का अनुरोध किया गया था। हालांकि, अधिकारियों ने अभी तक इस ज्ञापन पर कार्रवाई नहीं की है।

सितंबर में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विधायक चौधरी ने अफरोज के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव दायर किया था, जिसमें उन पर उनकी निजता का हनन करने का आरोप लगाया गया था। जांच का जिम्मा डीआईजी अभिषेक दुल्लर को सौंपा गया था।

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8 नवंबर को इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए विधायक ने कहा था, “वास्तव में, पुलिस ने एक बार अवैध खनन के लिए हमारी एक फर्म के ट्रक का चालान किया था, लेकिन अब वह मामला सुलझ चुका है। मैंने अपने ड्राइवर के माध्यम से मेरी निजता का हनन करने के लिए उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया है। जांच जारी है। किसी भी पुलिस अधिकारी की छुट्टी, तबादले आदि से मेरा कोई लेना-देना नहीं है।”

चौधरी उन छह मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) में शामिल हैं, जिन्हें 13 नवंबर को शिमला हाई कोर्ट द्वारा हिमाचल प्रदेश मुख्य संसदीय सचिव अधिनियम, 2006 को अमान्य करार दिए जाने के बाद उनके पदों से हटा दिया गया था। इल्मा अफरोज दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक हैं और रोड्स स्कॉलर हैं, जिन्होंने इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है।

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( इंडियन एक्सप्रेस के लिए पढ़ें सौरभ पाराशर की रिपोर्ट)