Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुरुग्राम के बंधवाड़ी लैंडफिल में बार-बार आग लगने की घटनाओं पर चिंता जताई है। साथ ही शीर्ष अदालत ने इस संकट से निपटने तथा क्षेत्र में वायु गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने के लिए सीएक्यूएम (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) के माध्यम से केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने की अपील की है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने 26 अप्रैल को लगी आग पर संज्ञान लिया, जो लगभग चार दिनों तक बंधवारी स्थल पर भड़की रही।

बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम वीडियो देखकर चौंक गए, लेकिन कल्पना कर सकते हैं कि प्रदूषण की सीमा क्या हो सकती है। भले ही आग बुझ गई हो…धुआं अभी भी मौजूद है।

बता दें, यह लैंडफिल 30 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें गुरुग्राम और फरीदाबाद से प्रतिदिन लगभग 2,000 मीट्रिक टन ठोस नगरपालिका अपशिष्ट आता है, तथा वर्तमान में इसमें 13 लाख मीट्रिक टन अपशिष्ट है, जिसमें से 9 लाख टन पुराना अपशिष्ट है।

कोर्ट ने कहा कि यद्यपि आग आधिकारिक तौर पर बुझा दी गई है, परन्तु जहरीला धुआं अभी भी हवा में मौजूद है। पीठ ने कहा कि यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के हर शहर का परिदृश्य है।

शीर्ष अदालत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित एम.सी. मेहता मामले की सुनवाई कर रहा था, जब उसने यह मुद्दा उठाया। इसने गुरुग्राम नगर निगम (एमसीजी) के आयुक्त से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का अनुपालन न करने पर सवाल उठाया।

पीठ ने पूछा कि श्रीमान आयुक्त, ऐसा क्यों हुआ? क्या आप 2016 के नियमों को लागू कर रहे हैं? वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उपस्थित हुए एमसीजी कमिश्नर ने माना कि कुछ समस्याएं थीं, लेकिन दावा किया कि आग को 9 घंटे में बुझा दिया गया था और मीथेन डिटेक्टर और इंफ्रारेड थर्मामीटर जैसी सावधानियां बरती गई थीं।

पीठ ने निगम द्वारा प्रस्तुत कार्ययोजना का ब्यौरा मांगा। पीठ ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं।

कोर्ट की सहायता कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने एमिकस क्यूरी के रूप में बताया कि 2024 से अब तक कम से कम नौ बार आग लगने की घटनाएं हुई हैं और कार्य योजना प्रस्तुत किए जाने के बावजूद केवल 45 प्रतिशत कचरे को ही अलग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सीएक्यूएम अधिनियम की धारा 14 के तहत वायु गुणवत्ता निर्देशों का पालन न करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह ठहराया जा सकता है।

सिंह ने पूछा कि सीएक्यूएम इसका संज्ञान क्यों नहीं ले रहा है? उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) भी स्थिति पर निगरानी रख रहा है, लेकिन सीमित प्रवर्तन के साथ।

जबकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने प्रस्तुत किया कि आदेश केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा पारित किए गए थे, न कि सीएक्यूएम द्वारा, पीठ ने केंद्र को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि क्या सीएक्यूएम इस मामले में अपने अधिनियम की धारा 12 के तहत शक्तियों का प्रयोग कर सकता है।

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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इस लैंडफिल साइट का उपयोग न केवल एमसीजी द्वारा किया जाता है, बल्कि फरीदाबाद नगर निगम द्वारा भी किया जाता है। इसलिए, यह उचित होगा कि सीएक्यूएम धारा 12 के तहत निर्देश जारी करे।

न्यायालय ने एमसीजी आयुक्त को एक हलफनामा दायर करने को भी कहा जिसमें यह स्पष्ट किया गया हो कि विरासत में मिला कचरा कब साफ किया जाएगा। अब मामला अनुपालन हलफनामे प्रस्तुत किए जाने तथा केंद्र द्वारा सीएक्यूएम की भूमिका स्पष्ट किए जाने के बाद आगे बढ़ेगा।

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