ज्ञानवापी विवाद पर एक टीवी डिबेट में इस्लॉमिक स्कालर जुनैद हैरिस ने कहा कि मोहल्‍ले के नाम पर मस्जिद का ये नाम पर पड़ा है। दरअसल उनसे सवाल किया गया था कि ज्ञानवापी नाम कैसे पड़ा। एंकर का कहना था कि अकबर ने जब मस्जिद बनाई थी तब क्या उसका नाम ज्ञानवापी था?

एंकर का कहना था कि कोर्ट तक बात क्यों जा रही है। गंगा जमुनी भाईचारे की हमेशा से बात होती रही है। एक पुरानी बहस का हवाला देकर उन्होंने कहा कि तब आप कहते थे कि राम मंदिर का विवाद जमीन के अधिकार का मामला है। उनका सवाल था कि ज्ञानवापी मामले में भी आपको पता है कि ये जमीन काशी विश्वनाथ मंदिर की है।

मुस्लिम चिंतक साजिद रशीदी का कहना था कि कोर्ट का जो भी फैसला आएगा हमें मंज़ूर है। हमने बाबरी मस्ज़िद के फैसले को भी माना है। उनका कहना था कि बाबरी मस्जिद का वो फैसला भी हमने माना है कि जिस फैसले में कोर्ट ने सारी चीजें मानने के बाद भी कहा कि हम विशेषाधिकार का इस्तेमाल करके ये सारी जमीन राम लला के लिए दे रहे हैं।

उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया तो कहा कि हमें कोई ऐसा साक्ष्य नहीं मिला जिससे ये कहा जा सके कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई। बाबरी विध्वंस को भी कोर्ट ने गलत माना था। लेकिन 142 का इस्तेमाल करके सारी जमीन मंदिर के लिए कोर्ट ने दे दी। उनका कहना था कि वो किसी आस्था पर चोट नहीं कर रहे हैं। कोर्ट फैसला तथ्यों पर देता है या फिर कानून के हिसाब से। ज्ञानवापी मामले की सर्वे रिपोर्ट पर उनकी एंकर अमन चोपड़ा से तीखी बहस भी हुई।

एक पैनलिस्ट का कहना था कि सारे विश्व में जितनी मस्जिद नहीं है उतनी हुंदुस्तान में हैं। इंडोनेशिया के बाद मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा भारत में ही बसती है। उनका कहना था कि औरंगजेब के समय में फरमानों में संस्कृत भाषा का इस्तेमाल होता था। उन्होंने डिबेट में एक कागज भी दिखाया।