इंडिया टीवी के आप की अदालत कार्यक्रम में जब एंकर रजत शर्मा ने देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से पूछा कि आप नेहरू जी की गुटनिरपेक्ष नीति के समर्थक थे। इंदिरा गांधी को आपने दुर्गा कहा था। नरसिम्हा राव की आर्थिक नीतियों का आप समर्थन करते हैं। आपको कोई आधा कांग्रेसी कहे तो गलती क्या है? अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, ‘नेहरू जी के मुंह पर मैंने उनकी कठोर आलोचना की थी। मैंने एक बार नेहरू जी से कहा था कि आपका व्यक्तित्व एक विभाजित व्यक्तित्व है। जिसमें चर्चिल भी है और चेम्बर्लेन भी है। नेहरू जी तमतमा गए थे कोई जवाब नहीं दिया उन्होंने। मैं नेहरू जी की गुटनिरपेक्ष नीति का समर्थक था लेकिन वह नीति नेहरू जी की नहीं थी। मैंने नेहरू जी से कहा था कि अगर देश का पीएम जवाहर लाल नेहरू नहीं होता तो वह भी दोनों शक्ति गुटों से अलग चलने की नीति पर चलता।’

एंकर ने पूछा कि नेहरू जी तो आपकी तारीफ किया करते थे? जवाब में वाजपेयी ने कहा था कि जरूर कुछ मेरे में तारीफ करने लायक लगा होगा तभी नेहरू जी ने तारीफ की होगी। इंदिरा गांधी को दुर्गा कहने वाली बात को झुठलाते हुए वाजपेयी ने कहा था ये अखबार वालों ने छाप दिया और मैं खंडन करता रह गया। पुपुल जयकर इंदिरा गांधी पर किताब लिखते हुए उसमें जिक्र करना चाहती थीं कि वाजपेयी ने इंदिरा को दुर्गा कहा है। जब वे मेरे पास आई तो मैंने कहा कि मैंने ऐसा नहीं कहा है। लाइब्रेरी छानने के बाद भी उनको कहीं ऐसा नहीं मिला।

मालूम हो कि अटल बिहारी वाजपेयी तीन कार्यकालों के लिए भारत के प्रधानमंत्री रहे थे। पहली बार 1996 में 13 दिनों की अवधि के लिए। 1998 से 1999 तक 13 महीने की अवधि के लिए और फिर उसके बाद 1999 से 2004 तक पूर्ण कार्यकाल तक पीएम रहे थे।

वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सह-संस्थापक और वरिष्ठ नेता थे। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य थे। वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे, जो कांग्रेस के नहीं थे, जिन्होंने कार्यालय में पूर्ण कार्यकाल पूरा किया था। उन्हें एक कवि और लेखक के रूप में भी जाना जाता है।

वह पांच दशकों से अधिक समय तक भारतीय संसद के सदस्य रहे, दस बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से 2009 में सक्रिय राजनीति छोड़ दी थी।

वह भारतीय जन संघ (BJS) के संस्थापक सदस्यों में से थे, जिसके वे 1968 से 1972 तक अध्यक्ष थे। BJS ने जनता पार्टी बनाने के लिए कई अन्य दलों के साथ विलय किया, जिसने 1977 का आम चुनाव जीता था। मार्च 1977 में, वाजपेयी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री बने थे। उन्होंने 1979 में इस्तीफा दे दिया, और जनता गठबंधन जल्द ही टूट गया था।

बीजेएस के पूर्व सदस्यों ने 1980 में वाजपेयी को पहला अध्यक्ष बनाते हुए भाजपा का गठन किया। प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, भारत ने 1998 में परमाणु परीक्षण किया। वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों में सुधार करने की मांग की और वे प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने के लिए बस से लाहौर गए थे।

1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध के बाद, उन्होंने राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ संबंधों को बहाल करने की मांग की और उन्हें आगरा में एक शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया था।

2015 में, उन्हें भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। बीमारी से 16 अगस्त 2018 को वाजपेयी का निधन हो गया था।