कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीति की जिम्मेदारी संभाल चुके प्रशांत किशोर ने यूपी विधानसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी से बोल दिया था कि उन्हें अब साथ में काम नहीं करना चाहिए। ये बातें उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कही है।
2019 के आम चुनाव से पहले लल्लनटॉप के साथ एक इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव को भी याद किया। जहां उन्होंने महागठबंधन के सात निश्चय पर बात थी और यूपी की उस गलती को माना जो उनसे 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी।
प्रशांत किशोर ने इस इंटरव्यू में कहा कि जब बिहार में मोदी जी ने एक लाख पचास करोड़ का पैकेज घोषित किया, तो हम लोगों के कैंप में सात दिनों तक सन्नाटा रहा। ऐसा लगा कि अब तो चुनाव हार ही गए। तो कैसे काउंटर करें, तो उसके काउंटर में सात निश्चय बनाया गया। बता दें कि तब प्रशांत किशोर महागठबंधन के लिए चुनावी रणनीति का काम देख रहे थे।
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में चाहे सरकार लालू जी के साथ हो या भाजपा के साथ हो, सात निश्चय तो आज भी है। सरकार तो उसी पर काम कर रही है। ये तो सक्सेसफुल कैंपेन रहा। प्रशांत ने कहा- मैं यूपी का उदाहरण इसलिए दे रहा था कि एक हारे हुए कैंपन में भी इतना बड़ा इम्पैक्ट क्रिएट कर सकते हैं।
बिहार के इसी इम्पैक्ट को यूपी में भी दोहराया गया, जो सक्सेस नहीं रहा। मैं यूपी में चुनाव जब कर रहा था, तो मुझे समझ नहीं आई बात। जिसके बाद एंकर ने जब यूपी चुनाव पर प्रशांत की राय को कांग्रेस द्वारा नरअंदाज करने का सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि ये हो सकता है। बिहार जीतने के बाद मेरा कांग्रेस से कोई मतलब नहीं था। राहुल जी से मुलाकात हुई थी। फरवरी में राहुल गांधी ने यूपी में काम करने के लिए कहा था।
प्रशांत कहते हैं- “यूपी बड़ा चैलेंज था, और हम भी लालच में आ गए, कि अगर यूपी में कांग्रेस जीत गई तो इससे बड़ी लड़ाई नहीं होगी। तीन महीने यूपी की खाक छानी, एक प्लान बनाया। उस प्लान का हिस्सा था कि प्रियंका गांधी यूपी कांग्रेस की फेस बनें। मार्च 2016 में उनके सामने ये प्रजेंट किया होगा। हमने कहा कि यूपी जीतना है तो ये काम करने पड़ेगा। 14 प्वाइंट हमने दिए थे”।
प्रशांत के प्लान के अनुसार सोनिया गांधी को वाराणसी से कैंपेन लॉन्च करना था। प्रशांत के इन प्वाइंट्स पर तीन महीने चर्चा हुई, फिर उसपर काम शुरू हुआ।
प्रशांत कहते हैं- सोनिया गांधी के रोड शो के बाद राहुल गांधी ने किसान यात्रा की। किसानों के कर्जे की माफी की बात कही। इस यात्रा के बाद कांग्रेस में ये बात हो गई कि अब तो हवा बन गई है।
इसके बाद कांग्रेस ने अखिलेश यादव की सपा से गठबंधन कर लिया। जो कि डिजास्टर साबित हुआ। प्रशांत ने उस समय को याद करते हुए कहा कि मेरी गलती ये है कि उस फैसले में सहभागी नहीं होने के बावजूद मैंने अपना नाम हटाया नहीं।
इसी चुनाव के बाद राहुल गांधी से प्रशांत किशोर ने कह दिया था कि अब उन्हें साथ में काम नहीं करना चाहिए। हालांकि इसके बाद भी राहुल गांधी से उनकी मुलाकातें होती रही है और वक्त-वक्त में कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें लगाई जाती रही है।